पुलिस नियमवाली के मुताबिक पुलिस ने इस मामले में ऐसा कर बड़ी भूल की है। नगर कोतवाल श्याम सुंदर पांडेय से एफआईआर में सही धाराएं न दर्ज करने के बाबत बात की गयी तो उन्होंने अपनी सफाई देते हुए एफआईआर दर्ज करने के पहले ही अपनी तेज तर्रार पुलिस की जरिये की गई जांच में पाये गये मामले के अनुसार धाराएं दर्ज करने का बहाना रखा। किस व्यवस्था के तहत संज्ञेय अपराध के मामले में बगैर एफआईआर दर्ज किये ही प्राथमिक जांच करने के विषय पर उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए बात को टाल दिया आैर सतीश मिश्र के खिलाफ भी अगले पक्ष के जरिए एफआईआर दर्ज कराने की बात कही।
वहीं कानून की माने तो संज्ञेय अपराध से जुड़े मामलो में प्राथमिक जांच का अधिकार पुलिस को है ही नहीं,बल्कि विधि व्यवस्थाओं में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह निर्देश दिया है कि संज्ञेय अपराध से जुड़े मामलों में पुलिस सूचना झूठी हो या सही हो उसे दर्ज किया जाना अनिवार्य है। बल्कि जांच में मामला झूठा पाये जाने पर मामले को खत्म करने एवं अभियोगी के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार पुलिस को दिया गया है। इसके बावजूद पुलिस ने इस मामले में ऐसा क्यों किया, यह तो कोतवाल ही जाने,फिलहाल पुलिसिया कार्यशैली को लेकर पत्रकारों में आक्रोश है। गुरुवार को पत्रकारों ने इसी मुद्दे पर डीएम कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है।