जिला परियोजना अधिकारी राजेश पांडेय ने बताया कि इस हफ्ते सामाजिक आर्थिक एवं जातीय जनगणना 2011 में छूटे पात्र परिवारों को सत्यापन करवाया गया। इसमें सामने आया कि जिले के आठों ब्लॉक में 35,898 परिवार अभी भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। इनके पास रहने को मकान नहीं है। ज्यादातर झोपड़ी डालकर रह रहे हैं जबकि 30 फीसदी के पास कच्चे मकान हैं। इसी आधादर पर उन लोगों का चयन किया गया है
उल्लेखनीय है कि गरीब परिवारों को PMAY-G का लाभ दिलवाए जाने के लिए केंद्र सरकार आवास ऐप पर योजना से जुड़े पात्र परिवारों की संख्या और बजट के लिए मांग पत्र भेज दिया गया है। बताया कि बजट जनवरी 2019 तक प्राप्त हो जाएगा। इसके बाद धन आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। आवास बनने के बाद गरीबों को मकान आवंटित कर दिए जाएंगे।