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लखनऊ

जीएसटी में समायोजित न होने से नाराज सेवा संघ ने दिखाई ताकत, दिया धरना

मनोरंजन कर विभाग के कर्मचारियों ने किया वाणिज्य कर कमिश्नर कार्यालय का घेराव।
 

लखनऊDec 07, 2018 / 05:58 pm

Ashish Pandey

pardershan

जीएसटी में समायोजित न होने से नाराज सेवा संघ ने दिखाई ताकत, दिया धरना

लखनऊ. पूर्व मनोरंजन कर विभाग के अधिकारियों, निरीक्षकों, लिपिकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने शुक्रवार को कमिश्नर वाणिज्य कर कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान मनोरंजन कर निरीक्षकों का वाणिज्य कर में मर्जर, कर्मचारियों की ज्येष्ठता, पदोन्नति, कार्य एवं दायित्व, सेवा संबंधी मामलों का निस्तारण वाणिज्य कर विभाग की तरह करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन सभी सेवा संघों के संयुक्त मोर्चे के बैनर तले किया गया।
18 महीने बाद भी सरकार नहीं ले सकी कोई निर्णय
प्रदर्शन के दौरान सेवा संघों ने कहा कि मनोरंजन कर विभाग के कार्मिक भी जीएसटी में लगाए जाने थे, लेकिन 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के 18 महीने बाद भी सरकार इस पर निर्णय नहीं ले सकी है। कर्मचारी संगठनों द्वारा मनोरंजन कर विभाग के कर्मचारियों की पीड़ा कई बार मुख्यमंत्री से लेकर कमिश्नर वाणिज्य कर तक की जा चुकी है लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। मनोरंजन कर विभाग के कार्मिकों ने 29 अगस्त 2018 को भी सरकार के ध्यानाकर्षण हेतु जवाहर भवन पर धरना दिया था। कोई उचित निर्णय न होने पर मजबूर होकर पूर्व विभाग के सभी सेवा संघो के संयुक्त मोर्चे द्वारा पुन: कमिश्नर वाणिज्य कर कार्यालय के समक्ष ये धरना दिया गया।
दूसरे संगठनों ने भी किया समर्थन
पूर्व मनोरंजन कर के प्रदर्शन में वाणिज्य कर के मिनिस्ट्रीयल स्टॉफ संघ के पदाधिकारी और जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीष पाण्डे भी मौजूद रहे। उन्होंने कर्मचारियों की पीड़ा को अपने स्तर से मुख्य सचिव महोदय के समक्ष उठाने को भरोसा दिलाया। धरने में विभिन्न जनपदों से आये कर्मचारियों ने बताया कि शासन द्वारा कोई निर्णय नहीं होने के कारण वह सभी दोहरे शासन के अंतर्गत काम कर रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा वाणिज्य कर में विलय होने के कारण पूर्व कार्यालय को खाली करने एवं वाणिज्य कर विभाग के कार्यालयों में जाने के लिए कहा जाता है। कार्यालयों में कम्प्यूटर, स्टेशनरी, बजट, स्टॉफ नहीं है। जिससे कि विभाग के पेडिंग कार्यों का भी निस्तारण नहीं हो पा रहा है। वहीं सरकार के ऊपर भी वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। जो कार्य वाणिज्य कर विभाग के संसाधनों द्वारा निस्तारित किये जाने चाहिये उसके लिये अलग से व्यवस्था करने पर धनराशि खर्च होती है। संघ के पदाधिकारियों द्वारा सेवा संबंधी मामलों के निस्तारण न होने पर आक्रोष व्यक्त किया गया।
65 जिलों में कोई काम नहीं बचा
जीएसटी लागू होने बाद पूर्व मनोरंजन कर विभाग के अवशेष काम समाप्त हो चुके हैं। अधिकारी एवं निरीक्षकों को जीएसटी की ट्रेंनिग दी जा चुकी है किन्तु कार्य आवंटन अब तक नहीं किया गया है। प्रदर्शन में प्रदेश के 75 जिलों से आये कर्मचारियों ने बताया कि उनके जिलों में पूर्व मनोरंजन कर से संबंधित कार्य लगभग समाप्त हो चुके हैं, जिला प्रशासन द्वारा अब उन्हें गैर पदीय दायित्व के कामों में लगाया जा रहा है। जिसका कोई भत्ता भी उन्हें नहीं दिया जाता है। अत: जीएसटी के क्रियांव्यन में पदीय दायित्व निर्धारण की मांग की गयी।
सेवा संघ की मुख्य मांगे
-प्रदर्शन के दौरान सभी सेवा संघों ने मनोरंजन कर निरीक्षकों का जल्द से जल्द वाणिज्य कर विभाग में संविलयन करने की मांग की। सेवा संघों ने कहा कि 24 अप्रैल 2018 को संविलियन की अधिसूचना जारी कि गयी थी, परन्तु उक्त अधिसूचना के क्रम में, मनोरंजन कर निरीक्षकों का संविलयन अभी तक अर्थात अधिसूचना पारित होने के सात माह बाद भी अभी तक क्रियान्वित नहीं किया गया है। जिससे मनोरंजन कर विभाग के निरीक्षकों की स्थिति स्पष्ट न होने की वजह से एक वर्ष से अधिक समय से कार्मिकों की कार्य शक्ति का क्षरण हो रहा है, यह सरकार एवं राजस्व हितों के भी प्रतिकूल है।
-प्रदर्शन के दौरान सभी सेवा संघों ने उत्तराखण्ड की भांति संविलियन की प्रक्रिया पूर्ण करते हुए ज्येष्ठता तय करते हुये इसकी नियमावली बनाने को लेकर मांग की।
-कर्मचारियों ने कहा कि शासन के बार-बार दिये गये निर्देशों के बाद भी पदोन्नति नहीं की जा रही है। जबकि वाणिज्य कर विभाग में पदोन्नति की प्रक्रिया अनवरत जारी है। इस कारण कर्मचारियों को अपने सेवा संबंधी लाभ नहीं मिल पा रहे हैं। पूर्व मनोरंजन कर विभाग के सापेक्ष रिक्त पदों पर शासन के निर्देशानुपालन में पदोन्नति की कार्यवाही कर रिक्त पदों को भरने की मांग की गयी।
-संविलय के बाद भी पूर्व मनोरंजन कर विभाग के कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों का निपटारा पूर्व के नियमों और व्यवस्था से करने के कारण इनका निस्तारण समय से नहीं हो पा रहा है। क्योंकि वाणिज्य कर विभाग में इससे इतर नियम लागू हैं।

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