आखिरकार सपा-बसपा का गठबंधन हो ही गया। यह गठबंधन लोकसभा 2019 का चुनाव एक साथ मिलकर लड़ेगा। उत्तर प्रदेश की लोकसभा की 80 सीटों में से सपा-बसपा 38-38 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे। यहां शनिवार को ताज होटल में बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां ज्वाइंट प्रेस कांफें्रस किया। इस मौके पर मायावती ने कांग्रेस को गठबंधन में न शामिल करने को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्व में कांग्रेस से गठबंधन का अनुभव कड़वा रहा है। कहा कि बसपा और सपा को पता है कि कांग्रेस के साथ चुनाव लडऩे का कोई फायदा नहीं होता है।
कड़वे अनुभव को भी शेयर किया बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने यहां प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सपा बसपा गठबंधन का ऐलान किया। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश की सियासत में कांग्रेस के साथ गठबंधन से मिले कड़वे अनुभव को भी शेयर किया। उन्होंने 90 के दशक को भी याद किया। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि बसपा-सपा गठबंधन अमेठी और रायबरेली सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगा। अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तो रायबरेली से सोनिया गांधी चुनाव लड़ती हैं। यह दोनों सीटें अभी कांग्रेस के पास हैं। सपा-बसपा गठबंधन ने इसके अलावा दो अन्य सीटें छोटे दलों के लिए छोड़ी हैं।
ये ही स्थिति अखिलेश यादव ने देखी
उन्होंने कहा कि गठबंधन करने पर कांग्रेस का वोट हमको नहीं मिलता। मायावती ने कहा कि 1996 में हमारा कांग्रेस के साथ कड़वा अनुभव रहा था। उस समय हमारा जनाधार कम हो गया था। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में ये ही स्थिति अखिलेश यादव ने देखी।
उन्होंने कहा कि गठबंधन करने पर कांग्रेस का वोट हमको नहीं मिलता। मायावती ने कहा कि 1996 में हमारा कांग्रेस के साथ कड़वा अनुभव रहा था। उस समय हमारा जनाधार कम हो गया था। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में ये ही स्थिति अखिलेश यादव ने देखी।