अखिलेश को बड़ा झटका! एक साथ 500 सपाइयों ने दिया इस्तीफा, शिवपाल के मोर्चे में होंगे शामिल
मुलायम का फेमस चरखा दांवमुलायम के ‘चरखा दांव’ से शिवपाल और उनके समर्थक हैरान हैं, वहीं सपाइयों में जश्न का माहौल है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब मुलायम पर उनका पुत्र मोह हावी होते दिखा है। 2012 के विधानसभा चुनाव में मुलायम, अखिलेश और शिवपाल सहित सभी नेताओं-कार्यकर्ताओं ने मेहनत की। चुनाव में पार्टी पूर्ण बहुमत से जीती तो मुलायम ने अखिलेश को सीएम की कुर्सी सौंप दी। शिवपाल ने विरोध भी किया, लेकिन मुलायम के पुत्रमोह के आगे उनकी एक न चली। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में चाचा-भतीजे की तकरार खुलकर सामने आ गई। शिवपाल ने कहा कि जिन्हें बिना मेहनत किये कुर्सी मिल जाती है, वे इसका मूल्य नहीं समझते। विवाद बढ़ा तो अखिलेश ने शिवपाल यादव को न केवल मंत्रिमंडल से निकाला, बल्कि सपा प्रदेश अध्यक्ष का पद भी छीन लिया। मुलायम से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से पदच्युत करते हूए पार्टी के सर्वेसर्वा बन गये।
अखिलेश यादव के पार्टी के मुखिया बनते ही शिवपाल सपा के साइडलाइन होते गये। पंचायत चुनाव में भी उनसे राय तक नहीं ली गई। कई बार अपनी उपेक्षा का आरोप लगाया। मुलायम को अध्यक्ष की कुर्सी देने की मांग की। बार-बार नई पार्टी बनाने का दबाव बनाया, लेकिन मुलायम हर बार अपने भाई को चुप कराते रहे। आखिरकार, शिवपाल यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चे का गठन कर लिया और कहा कि मुलायम का आशीर्वाद उनके साथ है। सोमवार को मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के कार्यक्रम में पहुंचकर समाजवादी सेक्युलर मोर्चे की मुसीबत बढ़ा दी। गौरतलब है कि शिवपाल सिंह यादव इन दिनों मुलायम के साथ होने की बात कहकर मुलायम के करीबी माने जाने वाले नेताओं का आशीर्वाद ले रहे हैं। सोमवार को पुराने समाजवादी नेता भगवती सिंह और उनकी मुलाकात चर्चा का विषय बनी थी।