सुभासपा अध्यक्ष ने अपने पत्र में लिखा है कि पिछड़े वर्ग के लोगों को मुझसे बहुत अपेक्षाएं हैं, लेकिन सरकार लगातार पिछड़ा वर्ग के लोगों के हितों की लगातार अनदेखी कर रही है, जिसके चलते मैं उन्हें उनका हक नहीं दिला पा रहा हूं। पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ हो रहे भेदभाव और अनदेखी को लेकर पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का प्रभार आपको सौंप रहा हूं।
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग छोड़ने की घोषणा के बाद उन्हें मनाने की कवायद शुरू हो गई। राजभर की घोषणा के कुछ ही देर बाद प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा उनसे मिलने कालिदास मार्ग स्थित आवास पर पहुंचे। राजभर ने कहा कि सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन में उनका सुझाव नहीं माना। जब मेरी बात ही नहीं सुनी जा रही तो अपने पास विभाग रखने का कोई मतलब ही नहीं। एनडीए में रहने के बारे में राजभर ने कहा कि इसके लिए हम 24 फरवरी तक इंतजार करेंगे और फिर निर्णय लेंगे।
इससे पहले भी सरकार पर फोन टेप कराने का गंभीर आरोप लगाते हुए कैबिनेट मंत्री और सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने 24 फरवरी तक पिछड़ों के आरक्षण का बंटवारा नहीं किये जाने पर एनडीए से गठबंधन तोड़ने का अल्टीमेटम दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि भाजपा से अलग होने के बाद सपा-बसपा गठबंधन से तालमेल का ऑफर भी मिल रहा है, लेकिन पूर्वांचल में कांग्रेस के मजबूत जनाधार के चलते यह संभव है कि वह कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। इसी के चलते उन्होंने पिछले महीने प्रयागराज में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था।
मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में सुभासपा के चार विधायक हैं। मंत्री ओम प्रकाश राजभर पूर्वी उत्तर प्रदेश की सलेमपुर, बलिया, जौनपुर, गाजीपुर, मछली शहर और आजमगढ़ समेत कम से कम 10 से 15 लोकसभा सीटों पर खासा प्रभाव माना जाता है। राजभर ही नहीं अन्य पिछड़ी जातियों में भी सुभासपा अध्यक्ष की अच्छी पकड़ है। अगर एनडीए से नाता तोड़ा तो कई सीटों पर भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं।
– ओम प्रकाश राजभर गाजीपुर की जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं
– 1981 में बसपा से राजनीतिक पारी शुरू की थी
– 2001 में बसपा से नाता तोड़ा
– 2004 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठन किया