बसपा सुप्रीमो ने यूपी सरकार से सवाल करते हुए कहा कि यूपी में भाजपा की योगी सरकार की सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक गतिविधियों पर पाबन्दी लगाने की कोई नीति है तो वह सभी धर्मों के लोगों पर एक समान तौर पर व पूरे प्रदेश के हर जिले में सख्ती से बिना किसी भेदभाव के क्यों नहीं लागू की जा रही है? उन्होंने कहा कि उस स्थल पर अगर 2013 फरवरी से ही जुमे की नमाज लगातार हो रही है तो अब चुनाव के समय उस पर पाबन्दी लगाने का क्या मतलब है? यह कार्यवाही पहले ही क्यों नहीं की गयी और अब जब आम चुनाव नजदीक हैं तो इससे पहले इस प्रकार की कार्रवाई क्यों की जा रही है? इससे बीजेपी सरकार की नीयत व नीति दोनों पर ही उंगली उठना व धार्मिक भेदभाव का आरोप लगना स्वाभाविक है।
भाजपा अपनी कमियों से भटकाना चाहती है लोगों का ध्यान- मायावती ने आरोप लगाया कि चुनाव के समय इस प्रकार के धार्मिक विवादों को पैदा करके बीजेपी की सरकार अपनी कमियों व विफलताओं पर से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है। जुमे की नमाज के संबंध में उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की ऐसी कार्रवाई यह साफ दर्शाती है कि हाल में पांच राज्यों में हुये विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार से बीजेपी घबराई हुई है। इसी कारण वह हताशा व निराशा के चलते गलत व विसंगतिपूर्ण फैसले ले रहे हैं।