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शिव के महा महामृत्युंजय मन्त्र से मिलती हैं असीम शक्ति, जाने कैसे राशिफल के साथ

locationलखनऊPublished: Jun 10, 2018 10:49:14 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

ॐ त्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर हैं

lord shiva

महामृत्युंजय का अर्थ जो बदल दे क़िस्मत

Ritesh Singh

लखनऊ , भगवान शिव उनकी महिमा अपरम्पार है उनके आगे चारों लोगो की दूषित शक्तियां अपने आप ही फेल हो जाती हैं |वैसे तो हर दिन खास होता हैं जानकारी न होने के चलते हम समझते हैं कि कोई एक दिन ही होता है ख़ास लेकिन ऐसा नहीं हैं | साल में 365 दिन होते हैं सप्ताह में सात दिन ,हर एक दिन की अपनी एक अलग पहचान होती हैं | पंडित शक्ति मिश्रा कहते हैं कि महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताआं के घोतक हैं। उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। इन तैंतीस देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती है। जिससे महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु तो प्राप्त करता ही हैं । साथ ही वह निरोग, ऐश्व‍र्य युक्ता धनवान भी होता है ।महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी हर दृष्टि से सुखी एवम समृध्दिशाली होता है ।
महामृत्युंजय का अर्थ जो बदल दे क़िस्मत

भगवान शिव की अमृतमययी कृपा उस निरन्तंर बरसती रहती है।
• त्रि – ध्रववसु प्राण का घोतक है जो सिर में स्थित है।
• यम – अध्ववरसु प्राण का घोतक है, जो मुख में स्थित है।
• ब – सोम वसु शक्ति का घोतक है, जो दक्षिण कर्ण में स्थित है।
• कम – जल वसु देवता का घोतक है, जो वाम कर्ण में स्थित है।
• य – वायु वसु का घोतक है, जो दक्षिण बाहु में स्थित है।
• जा- अग्नि वसु का घोतक है, जो बाम बाहु में स्थित है।
• म – प्रत्युवष वसु शक्ति का घोतक है, जो दक्षिण बाहु के मध्य में स्थित है।
• हे – प्रयास वसु मणिबन्धत में स्थित है।
• सु -वीरभद्र रुद्र प्राण का बोधक है। दक्षिण हस्त के अंगुलि के मुल में स्थित है।
• ग -शुम्भ् रुद्र का घोतक है दक्षिणहस्त् अंगुलि के अग्र भाग में स्थित है।
• न्धिम् -गिरीश रुद्र शक्ति का मुल घोतक है। बायें हाथ के मूल में स्थित है।
• पु- अजैक पात रुद्र शक्ति का घोतक है। बाम हस्तह के मध्य भाग में स्थित है।
• ष्टि – अहर्बुध्य्त् रुद्र का घोतक है, बाम हस्त के मणिबन्धा में स्थित है।
• व – पिनाकी रुद्र प्राण का घोतक है। बायें हाथ की अंगुलि के मुल में स्थित है।
• र्ध – भवानीश्वपर रुद्र का घोतक है, बाम हस्त अंगुलि के अग्र भाग में स्थित है।
• नम् – कपाली रुद्र का घोतक है । उरु मूल में स्थित है।
• उ- दिक्पति रुद्र का घोतक है । यक्ष जानु में स्थित है।
• र्वा – स्था णु रुद्र का घोतक है जो यक्ष गुल्फ् में स्थित है।
• रु – भर्ग रुद्र का घोतक है, जो चक्ष पादांगुलि मूल में स्थित है।
• क – धाता आदित्यद का घोतक है जो यक्ष पादांगुलियों के अग्र भाग में स्थित है।
• मि – अर्यमा आदित्यद का घोतक है जो वाम उरु मूल में स्थित है।
• व – मित्र आदित्यद का घोतक है जो वाम जानु में स्थित है।
• ब – वरुणादित्या का बोधक है जो वाम गुल्फा में स्थित है।
• न्धा – अंशु आदित्यद का घोतक है । वाम पादंगुलि के मुल में स्थित है।
• नात् – भगादित्यअ का बोधक है । वाम पैर की अंगुलियों के अग्रभाग में स्थित है।
• मृ – विवस्व्न (सुर्य) का घोतक है जो दक्ष पार्श्वि में स्थित है।
• र्त्यो् – दन्दाददित्य् का बोधक है । वाम पार्श्वि भाग में स्थित है।
• मु – पूषादित्यं का बोधक है । पृष्ठै भगा में स्थित है ।
• क्षी – पर्जन्य् आदित्यय का घोतक है । नाभि स्थिल में स्थित है।
• य- त्वणष्टान आदित्यध का बोधक है । गुहय भाग में स्थित है।
• मां – विष्णुय आदित्यय का घोतक है यह शक्ति स्व्रुप दोनों भुजाओं में स्थित है।
• मृ – प्रजापति का घोतक है जो कंठ भाग में स्थित है।
• तात्- अमित वषट्कार का घोतक है जो हदय प्रदेश में स्थित है।
पंडित शक्ति मिश्रा बताते हैकि उपर वर्णन किये स्थानों पर उपरोक्त देवता, वसु आदित्य आदि अपनी सम्पुर्ण शक्तियों सहित विराजत हैं । जो प्राणी श्रध्दा सहित महामृत्युजय मंत्र का पाठ करता है उसके शरीर के अंग – अंग की रक्षा होती हैं जहां के जो देवता या वसु अथवा आदित्यप हैं। उनकी रक्षा होती है उस व्यक्ति के साथ कभी भी किसी प्रकार की अनहोनी नहीं होती। इतनी शक्ति होती है महा महामृत्युंजय मन्त्र में। इसलिए इसका जप सबको करना चाहिए।

मेष
कार्यों की गति धीमी होगी। चिंता बढ़ेगी। फालतू खर्च होगा। विवाद व जोखिम से बचें।

वृष
यात्रा सफल रहेगी। डूबा हुआ पैसा मिल सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। प्रसन्नता रहेगी।

मिथुन
कार्यस्थल पर सुधार होगा। आय के स्रोत बढ़ेंगे। योजना फलीभूत होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
कर्क
राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। तीर्थदर्शन हो सकता है। सत्संग का लाभ मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।

सिंह
जल्दबाजी से बड़ा नुकसान हो सकता है। लापरवाही से कार्य बिगड़ेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें।

कन्या
राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। लाभार्जन होगा। जोखिम न लें। प्रमाद न करें।
तुला
बेरोजगारी दूर होगी। संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। जोखिम न लें। थकान महसूस होगी।

वृश्चिक
मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। लाभार्जन होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

धनु
व्यस्तता के चलते आराम नहीं मिलेगा। बुरी खबर मिल सकती है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। विवाद न करें।
मकर
प्रतिष्ठा बढ़ेगी। मेहनत रंग लाएगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ होगा।

कुंभ
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। मेहमानों पर खर्च होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। झंझटों से दूर रहें।

मीन
परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बेरोजगारी दूर होगी।

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