scriptऔर इस तरह ज्योतिरादित्य गांधी परिवार के बाद कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता बन गए? | jyotiraditya Scindia more powerful in Congress after Gandhi Family | Patrika News

और इस तरह ज्योतिरादित्य गांधी परिवार के बाद कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता बन गए?

locationलखनऊPublished: Feb 21, 2019 03:47:46 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

प्रियंका और राहुल की बात मानने का मिला इतना बड़ा इनाम।
 

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और इस तरह ज्योतिरादित्य गांधी परिवार के बाद कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता बन गए?

लखनऊ. कांग्रेस पार्टी में ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया की हैसियत लगातार बढ़ती जा रही है। वे गांधी परिवार के बाद कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता माने जा रहे हैं। कल तक अहमद पटेल को गांधी परिवार से बाहर कांग्रेस का सबसे ताकतवार नेता माना जाता था, लेकिन सूत्र बताते हैं कि अब पटेल नहीं गांधी परिवार से बाहर सबसे ताकतवर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया बन गए हैं। कहते हैं की कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है और सिंधिया के साथ भी ऐसा ही हुआ।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन वहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व गांधी परिवार के करीबी कमलनाथ पर भरोसा जताते हुए उन्हें मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी गई। इससे सिंधिया उदास हो गए। सिंधिया के करीबी नेता बताते हैं कि उनके लिए पीछे हटना आसान नहीं था, लेकिन प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के समझाने पर सिंधिया ने एक बार भी मुख्यमंत्री बनने की जिद नहीं ठानी और भोपाल जाने का फैसला छोड़ दिया। इसके बाद सिंधिया, कमलनाथ की ताजपोशी में भी शामिल हुए और अपने समर्थकों को भी शांत कराया और मध्य प्रदेश सरकार बनने के बाद दिल्ली की सियासत में लौट आए।
सीएम पद पर अपनी दावेदारी छोडऩे के बाद सिंधिया को शायद यह उम्मीद नहीं होगी कि उन्हें प्रियंका गांधी के बाराबर लाकर खड़ा कर दिया जाएगा। जब अखिलेश और मायावती ने यूपी में महागठबंधन बनाने का एलान कर दिया और कांग्रेस के लिए केवल दो सीटें छोड़ दीं तो राहुल गांधी ने कहा कि उनके पास उत्तर प्रदेश के लिए एक जबरदस्त आइडिया है और यह आइडिया था प्रियंका के साथ ज्योतिरादित्य को उत्तर प्रदेश भेजने का। इसके बाद कांग्रेस के नेता भी दंग रह गए।
सूत्रों की मानें तो कभी किसी ने नहीं सोचा था कि गांधी परिवार के बराबर लाकर किसी बाहर के नेता को खड़ा किया जाएगा। जिस तरह से प्रियंका गांधी की सियासी एंट्री के समय राहुल गांधी ने अपने हर बयान में ज्योतिरादित्य सिंधिया का जिक्र किया वह एक नई परंपरा की शुरुआत है।
वहीं पार्टी में सिंधिया के बढ़ते कद से कई नौजवान नेता बेहद चिंतित हैं। ऐसे ही एक नेता बताते हैं कि पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम कांग्रेस के टॉप टेन नेताओं में सबसे आखिर में आता था- सोनिया, राहुल, प्रियंका गांधी (सियासत में ना आने से पहले भी प्रियंका नंबर तीन की हैसियत रखती थीं), अहमद पटेल, गुलाम नबी आज़ाद, मल्लिकार्जुन खडगे, अशोक गहलोत, पी चिदंबरम, एके एंटोनी और ज्योतिरादित्य सिंधिया, लेकिन अब अचानक यह टॉप टेन बदल गया है। कल तक गांधी परिवार से बाहर अहमद पटेल सबसे ताकतवर कांग्रेस नेता माने जाते थे लेकिन अब ज्योतिरादित्य सिंधिया इस जगह पर काबिज हो चुके हैं।
आखिर इतना बड़ा रिस्क क्यों लिया गांधी परिवार ने?
यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर गांधी परिवार ने इतना बड़ा रिस्क क्यों लिया और एक लोकप्रिय माने जाने वाले हिंदी बेल्ट के अनुभवी और नौजवान नेता को ऐसी जबरदस्त पदोन्नति पार्टी ने कैसे दे दी? प्रियंका गांधी के वॉर रूम में काम करने वाले एक सूत्र बताते हैं कि प्रियंका गांधी अब नये रास्ते पर चलना चाहती हैं। यह प्रियंका की ही जिद थी कि उन्हें हर समय ज्योतिरादित्य सिंधिया के बराबर ही समझा जाए। वो खुद वंशवादी नेता नहीं बनना चाहतीं बल्कि यह संदेश देना चाहती हैं कि वे भी बाकी महासचिवों में से ही एक हैं। इसीलिए जब राहुल गांधी का कमरा प्रियंका गांधी को दिया गया तो पता लगते ही प्रियंका ने कार्यालय इंचार्ज को उस कमरे के बाहर ज्योतिरादित्य की भी नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया। पहले सिंधिया के लिए अशोक गहलोत का कमरा खाली कराया गया था, लेकिन प्रियंका के कहने पर उनका नेम प्लेट बदल दिया गया।
…तो इसलिए सिंधिया पर जताया भरोसा
गांधी परिवार ज्योतिरादित्य सिंधिया पर यूं ही नहीं इतना भरोसा जताया है। दिसंबर में आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद युवा नेता और राजस्थान के वर्तमान उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट अशोक गहलोत के आगे जल्द सरेंडर करने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। पायलट मुख्यमंत्री बनना चाहते थे और बार-बार अलग-अलग तरीके से यह बता रहे थे कि राहुल गांधी ने राजस्थान भेजते समय उन्हें राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था, लेकिन वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के लिए गांधी परिवार पर किसी भी तरह का दबाव नहीं डाला। इस दौरान सिंधिया ने जिस तरह से अपने समर्थकों को शांत करवाया वह अंदाज भी गांधी परिवार को पसंद आ गया। इसके बाद ही से सिंधिया गांधी परिवार के गुड बुक में आ गए।
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