एनबीआरआई के प्लांट इकोलॉजी एंड एन्वायरमेंट साइंसेस विभाग के हेड डॉ विवेक पांडेय ने बताया की स्ट्रेटोफेयर जो की पृथ्वी से 15 से 35 किलोमीटर तक मौजूद है उसमें ओज़ोन परत जरुरी है। कारण यह है यह परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकती है। वातावरण में मौजूद ओज़ोन पेड़-पौधों के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है।
पेड़ नहीं ऑब्ज़र्व कर पा रहे कार्बन डाइऑक्साइड
डॉ पांडेय ने बताया की ओज़ोन का प्रभाव गेंहू, धान जैसी खाद्यान्न फसलों पर ही नहीं पड़ता। इससे पेड़ों की कार्बन डाइऑक्साइड ऑब्ज़र्व करने की क्षमता कम होती जा रही है। इसी वजह से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया की कार्बन डाइऑक्साइड और ओज़ोन के मिले जुले असर को गेंहू की फसल पर परखा जा रहा है। इस शोध के जरिये गेंहू की उन प्रजातियों का पता लगाया जायेगा जो ओज़ोन के दुष्प्रभाव के बावजूद भी अच्छी पैदावार दे रहा है
उन्होंने बताया की सूर्य से वाहनों से उत्सर्जित होने वाला धुंआ जब सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आता है तो ओज़ोन का निर्माण होता है। जैसे-जैसे वाहनों की संख्या बढ़ रही है इसका सांद्रण भी बढ़ रहा है। ऐसे में पर्यावरण में मौजूद ओज़ोन वैज्ञानिकों के समक्ष चुनौती बन गई है। लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है। इससे दबाव बढ़ता जा रहा है।