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World Diabetes Day: प्रदूषण से मधुमेह को बढ़ावा, लगभग एक लाख मौतें इस एक कारण से

locationलखनऊPublished: Nov 14, 2018 03:05:03 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

बिजी लाइफस्टाइल और बढ़ते काम के बोझ के चलते लोगों के पास समय से भोजन करने तक का वक्त नहीं होता

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World Diabetes Day: प्रदूषण से मधुमेह को बढ़ावा, लगभग एक लाख मौतें होती हैं इस कारण से

लखनऊ. आधुनिक जीवनशैली व बदलती लाइफस्टाइल की चाहत में व्यक्ति कई बार सेहत में अपना ही नुकसान कर बैठता है। बिजी लाइफस्टाइल और बढ़ते काम के बोझ के चलते लोगों के पास समय से भोजन करने तक का वक्त नहीं होता। इसके चलते लोग जंक फूड पर निर्भर हो जाते हैं, जो कि बेहद ही नुकसानदेह है। न सिर्फ जंक फूड बल्कि कई दफा लोग मीठा खाकर भी अपनी भूख मिटाते हैं। यह प्रमुख कारण डायबिटिक मरीजों की संख्या में वृद्धि करने के लिए कम नहीं थे कि अब प्रदूषण भी डायबिटीज का कारण बन गया है।
प्रदूषित शहरों में मधुमेह रोगी ज्यादा

आजकल जिस तरह प्रदूषण बढ़ रहा है, यह मधुमेह रोगियों के लिए बिलकुल सुरक्षित नहीं है। यह बात अजीब जरूर है लेकिन सच है कि प्रदूषण मधुमेह को बढ़ावा देता है। उत्तर प्रदेश डायबिटीज एसोसिएशन द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि पॉल्यूटेड शहरों में मधुमेह के रोगी ज्यादा पाए जाते हैं। शोध के मुताबिक किसी शहर में प्रदूषण का स्तर जितना ज्यादा होता है, वहां मधुमेह से ग्रसित रोगी ज्यादा होते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी कंट्री प्रोफाइल रिपोर्ट, 2016 के अनुसार भारत में 30- 60 साल के लगभग 75,900 पुरुष और 51,700 महिलाओं की मृत्यु मधुमेह से होती है। यानी लगभग एक लाख से ज्यादा मौतें मधुमेह के कारण होती हैं।
लखनऊ तीसरे नंबर पर

उत्तर प्रदेश डायबिटीज एसोसिएशन के शोध में पाया गया कि गाजियाबाद सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है, जहां मधुमेह रोगियों की संख्या 10.8 फीसदी है। इसके अलावा अन्य जिलों में मधुमेह रोगियों की संख्या कुछ इस तरह है:
कानपुर- 9.65 फीसदी
लखनऊ- 9.35 फीसदी
वाराणसी- 8.95 फीसदी
गोरखपुर- 6 फीसदी

यह शोध 2014-14 के बीच में किया गया था। वहीं साल 2017 में भारत में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या 7.2 करोड़ आंकी गई थी, जो विश्व के कुल मधुमेह रोगियों के लगभग आधे के बराबर है। वहीं बात अगर स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की करें, तो 2016-17 में डायबिटीज से ग्रसित लोगों की संख्या लगभग 5069 थी। 2017-18 में डायबिटीज़ से ग्रसित लोगों की संख्या लगभग 4859 थी। अप्रैल से सितंबर 2018 तक मधुमेह के 5285 मरीज पाए गए।
क्या है डायबिटी़ज

जब शरीर में इंसुलिन लेवल कम होने के कारण खून में ग्लूकोज स्तर सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है, तो उसे डायबिटीज़ कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है, जो पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है और जिसकी जरूरत भोजन को ऊर्जा में बदलने में होती है। इसके बिना हमारा शरीर शुगर लेवल को कंट्रोल करने में असमर्थ होता है, जिस वजह से शरीर को भोजन से ऊर्जा लेने में कठिनाई होती है। ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर में लगातार बने रहने से आंख, मस्तिष्क, ह्रदय और गुर्दों को नुकसान पहुंचता है।
बच्चों में बढ़ रहे डायबिटीज के मामले

डायबिटीज दो तरह का होता है। एक टाईप 1 और दूसरा टाईप 2। टाईप 1 का असर कुछ ही हफ्तों ोमें देखने को मिलता है। टाईप 2 के लक्षण व असर धीरे-धीरे बढ़ते हैं। बदलती लाइफस्टाइल में बच्चे तेजी से डायबिटीज की चपेट आ रहे हैं। ज्यादा चीनी से बने खाद्य पदार्थों का सेवल वजन बढ़ाता है, जो शरीर में इंसुलिन स्तर के लिए खतरनाक है।
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