शास्त्रों में भी उल्लेख हैं जड़ी- बूटी का हमारे शास्त्रों में कई हजारों वर्षों से घर यह बाहर की पूजा व यज्ञ आदि में हवन सामाग्री का प्रयोग बहुत होता आया है। जिस सामग्री के इस्तेमाल से एक प्रकार की शुद्धि का एहसास होता हैं। पहले के ऋषि – मुनि हवन की समाग्री को बनाने के लिए जंगल में घूम – घूम कर एक-एक जड़ी -बूटी खोज कर लाते थे और सबके मिश्रण से शुद्ध सामग्री का रूप देते थे और वही हवन समाग्री का प्रयोग करके बदलते मौसम में होने वाले संक्रमणों से बचाव करते थे।
बाजार में उपलब्ध है आयुर्वेद की हवन समाग्री बाजार में यह जड़ी बूटी जिसे हवन समाग्री भी कहते हैं वो मौजूद है। जिसे घर में लाकर उसका इस्तेमाल किया जा सकता हैं। `जब मौसम बदलता हैं बीमारिया पैर फ़ैलाने लगती हैं
आयुर्वेद की जानकर डॉ शीला श्रीवास्तवा का कहना हैकि कोई भी मौसम हो जब भी मौसम बदलता हैं उसका बुरा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता हैं। इसलिए सबसे पहले हमें केमिकल का इस्तेमाल ना करके आयुर्वेद में जाना चाहिए यह मैं आप से इसलिए कह रही हूँ कि आयुर्वेद अगर फायदा नहीं करेगा तो नुकसान भी नहीं करेगा। आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी बूटी आती हैं जिसका इस्तेमाल करने से हम अपने और
जड़ी-बूटी की नाम मदार, ढाक, खैर, लटजीरा, पीपल, गूलर, शमी, दूब, कुश का प्रयोग किया जाता है। जो ग्रह शांति के साथ साथ वातावरण को भी ठीक रखता हैं। उन्होंने बतायाकि बालछड़, छड़ीला, कपूरकचरी, नागर मोथा, सुगन्ध बाला, कोकिला, हाउबेर, चम्पावती एवं देवदार आदि काष्ठ औषधियों का एक मिश्रण होता है, जो वातावरण को शुद्ध एवं सुगन्धित करता है। इससे हम संक्रमण से बच सकते हैं।