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देवी मां के इन स्वरूपों की होती है पूजा
नवरात्रि के पहले दिन शैल पुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि का पर्व देवी भक्तों के लिए खास रहता है।
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ऐसे करें पूजा
गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें। मां को लाल कपड़े में दो लौंग रखकर नौ दिन चढ़ाएं। इसके साथ ही कपूर से आरती करें। नवरात्रि समाप्ती के बाद लौंग लाल कपड़े में बांधकर सुरक्षित रख लें। धन प्रात्ति के आसार बढ़ेंगे।
कैसे पड़ा गुप्त नवरात्र का नाम
इन नौ दिनों तक गुप्त रूप से मां की आराधना की जाती है। इसलिए इन नवरात्रों का नाम गुप्त नवरात्र पड़ा। गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। विधि विधान से मां की आराधना करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। गुप्त नवरात्र में साधना को गोपनीय रखा जाता है और माना जाता है कि इन नवरात्र में मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, सफलता उतनी ही अधिक मिलेगी। गुप्त नवरात्र में पूरे नौ दिन अपने आहार को सात्विक रखें। सुबह और संध्या समय पूरे परिवार के साथ मां की आरती करें। अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। इन नवरात्र में मां भगवती की साधना कर भक्त दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति का प्रयास करते हैं। इन नवरात्र में देवाधिदेव महादेव एवं मां काली की पूजा का विधान है। पूजा में मां को शृंगार का सामान, नारियल और चुनरी अर्पित करें। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ व्रत का उद्यापन करें।
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शुभ मुहुर्त
आप कोई काम करने की सोच रहे हैं तो यहां देखकर आज के राहुकाल के बारे में जान सकते हैं। आज मध्याह्न 12 बजे से मध्याह्न 1.30 बजे तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रारंभ। सूर्य दक्षिणायण। सूर्य उत्तर गोल। वर्षा ऋतु। 03 जुलाई, बुधवार, 12 आषाढ़ (सौर) शक 1941, 19 आषाढ़ मास प्रविष्टे 2076, 29 शव्वाल सन् हिजरी 1440, आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा रात्रि 10.05 बजे तक उपरांत द्वितीया, आद्र्रा नक्षत्र प्रात:6.36 बजे तक तदनंतर पुनर्वसु नक्षत्र रात्रि 4.39 बजे तक उपरांत पुष्य नक्षत्र, ध्रुव योग प्रात:11.42 बजे तक पश्चात व्याघात योग, किस्तुघ्न करण, चंद्रमा रात्रि 11.09 बजे तक मिथुन राशि में उपरांत कर्कराशि में।
गुप्त नवरात्रि की पौराणिक कथा
एक बार ऋषि श्रंगी भक्तों को प्रवचन दे रहे थे। इसी दौरान एक स्त्री ने हाथ जोड़कर ऋषि को अपनी समस्या बताई। स्त्री ने बताया कि उनके पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं और इसलिए वह किसी भी प्रकार का व्रत, धार्मिक अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती है। यह सुन कर ऋषि ने कहा कि शारदीय और चैत्र नवरात्र में तो हर कोई मां दुर्गा की पूजा करता है और इससे सब परिचित भी हैं लेकिन इसके अलावा भी दो और नवरात्र हैं। ऋषि ने बताया कि दो गुप्त नवरात्र में 9 देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है। ऋषि ने स्त्री को बताया कि इसे करने से सभी प्रकार के दुख दूर होंगे और जीवन खुशियों से भर जाएगा। यह सुन स्त्री ने गुप्त नवरात्र में ऋषि के अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की। मां दुर्गा इस श्रद्धा और भक्ति से हुईं और इसका असर ये हुआ कि कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ। साथ ही स्त्री का घर भी खुशियों से भर गया।