राम नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश का अनेक दृष्टि से महत्व है। विश्व के केवल तीन देश चीन, अमेरिका और इण्डोनेशिया आबादी की दृष्टि से उत्तर प्रदेश से बड़े हैं। 24 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश राज्य की स्थापना हुई थी। स्थापना के 68 वर्ष के बाद पहली बार उनके सुझाव पर राज्य सरकार द्वारा स्थापना दिवस का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश से लोकसभा में 80 सांसद जाते हैं तथा प्रदेश ने वर्तमान प्रधानमंत्री सहित 9 प्रधानमंत्री देश को दिये हैं। राज्यपाल ने कहा कि गत सप्ताह राज्य सरकार ने इलाहाबाद का नाम परिवर्तित करके उसका पुराना नाम ‘प्रयागराज’ किया है। पौराणिक दृष्टि से जहाँ तीन नदियाँ का संगम है उसे प्रयागराज कहा गया है। उन्होंने बताया कि कैसे उनके प्रयास से बम्बई को उसका असली नाम मुंबई मिला। उन्होंने कहा कि बाद में कलकत्ता का कोलकाता, बैंगलोर का बंगलुरू, मद्रास का चेन्नई व अन्य शहरों के नाम भी परिवर्तित किये गये।
राम नाईक ने राजभवन की विशेषता बताते हुये कहा कि 45 एकड़ में बना राजभवन 200 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। राजभवन में गौशाला तथा उद्यान है, जहाँ विभिन्न प्रकार के फल, फूल व सब्जियाँ उगायी जाती हैं। देश की आजादी के बाद 1947 से यह प्रदेश के राज्यपाल का सरकारी आवास है जिसकी पहली राज्यपाल वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरोजिनी नायडू थीं। उन्होंने कहा कि 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम लखनऊ व उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों से आरम्भ हुआ था। राज्यपाल ने छात्रों को ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक का शाश्वत संदेश बताते हुये कहा कि सफल एवं जगत वंदनीय होने के लिए निरन्तर चलते रहने की आवश्यकता है। निरन्तर आगे बढ़ने से जीवन में सफलता मिलती है। राज्यपाल ने छात्रों को व्यक्तित्व विकास के चार मंत्र भी बताये। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ की हिंदी प्रति और कार्यवृत्त ‘राजभवन में राम नाईक 2017-18’ की प्रति भी छात्रों को भेंट की।