राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वित्तीय साक्षरता से जहां एक और बैंकिग प्रणाली पर विश्वास बढ़ेगा तो वहीं भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने कहा था कि विकास के लिए एक रूपये का केवल 15 पैसा ही लाभार्थियों तक पहुंचता है।
वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जन धन योजना लागू करके देश की जनता को बैंकों में खाता खोलने के लिए प्रेरित किया। सुरक्षा एवं विकास की दृष्टि से लोगों का पैसा घरों में नहीं बैंकों में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वित्तीय साक्षरता का होना आवश्यक है।
राम नाईक ने कहा कि विज्ञान एवं तकनीकी के उपयोग से वित्तीय साक्षरता को बढ़ाया जा सकता है। देश में वित्तीय साक्षरता के प्रति जागरूकता से विकास कार्य को नये आयाम मिलेंगे । देश के युवा स्वयं में कुछ नया सीखने की जिज्ञासा जगायें। नया ज्ञान प्राप्त करते रहें क्योंकि सीखने वाला ही आगे बढ़ता है। देश की आजादी के समय देश में खाद्यान की कमी थी और हम विदशों से अनाज आयात करते थे। आज परिस्थितियां बदली हैं, सीमित कृषि योग्य भूमि होने के बावजूद भी अनाज के मामले में हम आत्मनिर्भर हुए हैं और निर्यात की स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि युवा विचार करें कि विश्व स्तर पर भारत की क्या स्थिति है और उसे कैसे आगे बढ़ाने में योगदान किया जा सकता है।