यूपी के लोकसभा चुनाव एम 3 मशीनों से होंगे, छेड़छाड़ की तो आ जाएगी फोटो
पत्रिका इनडेप्थ स्टोरीलखनऊ. भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने हाल ही में झांसी में एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव एम-3 मशीन से होंगे। उनका कहना है कि इस मशीन से चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शिता के साथ कराने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि अभी तक एम-2 मशीन से चुनाव कराए जा रहे थे। राजनीतिक दलों के ईवीएम के विरोध और ईवीएम पर चुप्पी के बीच आइए जानते हैं आखिर क्या है एम-3 मशीन की तकनीक और कैसे निष्पक्षता के साथ चुनाव होगा संपन्न।
उप्र के विधानसभा चुनाव के दौरान ईवीएम मशीन को लेकर तमाम विवाद हुए थे। कई जगह किसी भी बटन को दबाने पर वीवीपैट पर्चा एक खास दल के नाम निकलने की शिकायतें भी हुई थीं। तब बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ईवीएम और वीवीपैट पर सवाल उठाए थे। हालांकि उप्र की 403 सीटों में केवल 20 सीटों पर वीवीपैट वाली ईवीएम के ज़रिए मतदान हुआ था।
क्या है वीवीपैट मशीन वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट (वीवीपीएट) में वोट डालने के तुरंत बाद कागज़़ की एक पर्ची निकलती है। इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। यह व्यवस्था इसलिए है कि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके। ईवीएम में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है। इस मशीन को 2013 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड ने डिजाइन की थी। सबसे पहले इसका इस्तेमाल नागालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2013 में वीवीपैट मशीन से चुनाव कराने का आदेश दिया था। माना जा रहा है कि 2019 के चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल होगा।
क्या है एम 3 ईवीएम मशीन साधारण शब्दों में कहें तो एम-3 ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का थर्ड जनरेशन है। चुनाव आयोग ने इस ईवीएम को मार्क 3 नाम दिया है। नेक्स्ट जनरेशन मार्क 3 ईवीएम की विशेषता यह है कि इसके चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता। इसको दोबारा लिखा भी नहीं जा सकता। इस ईवीएम को इंटरनेट या किसी भी नेटवर्क से कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। यदि कोई ईवीएम से छेड़छाड़ करेगा या इसका स्क्रू भी खोलने की कोशिश करेगा तो मशीन बंद हो जाएगी। यही नहीं छेड़छाड़ करने वाली की फोटो भी दर्ज हो जाएगी। मशीन में इनमें रियल टाइम क्लॉक और डायनेमिक कोडिंग जैसी विशेषताएं हैं। इसकी हैकिंग या रीप्रोग्रामिंग नहीं की जा सकती है। खास बात यह है कि एम-3 में 24 बैलेट यूनिट और 384 प्रत्याशियों की जानकारी होगी। पहले सिर्फ 4 बैलेट यूनिट और 64 प्रत्याशियों की जानकारी ही रखी जा सकती थी।
इस मशीन को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बंगलूरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद में तैयार किया है। गौरतलब है कि ईवीएम बनाने का विचार सबसे पहले 1977 में आया था। नवंबर 1998 में इसका उपयोग किया गया था। ईवीएम मार्क 1 का निर्माण 1989 से 2006 तक हुआ था। दूसरी पीढ़ी के ईवीएम मार्क 2 का निर्माण 2006 से 2012 तक हुआ।
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