डेंगू की सबसे बड़ी समस्या
डेंगू की सबसे बड़ी समस्या कैपिलरी लीक की होती है। कैपिलरी जिसे हिंदी भाषा में केशिकाएं कहते हैं, यह एक छोटी छोटी रक्तवाहिनियां होती हैं। डेंगू से इन रक्तवाहिनियों की दीवारों में अधिक छिद्र हो जाते हैं। जिस कारण केशिकाओं से खून का द्रव रिस कर शरीर में ही आसपास जमा होने लगता है। (ध्यान रहे, कैपिलरी-लीक में केशिकाओं से बाहर निकल कर इंटरस्टिशियम में जमा होता तरल कहीं जाता नहीं है। वह शरीर के भीतर ही रहता है। बस वह किसी उपयोग का नहीं रह जाता।) तरल प्लाज्मा की इसी कमी के कारण ब्लड प्रेशर गिरने लगता है और हिमैटोक्रिट बढ़ने लगता है।
इन तीन चीजों का रखें खयाल
लखनऊ के एमबीबीएस डॉक्टर अजय खैतान बताते हैं कि डेंगू के रोगी के लिए ये तीन चीज़ें सबसे अहम हैं। वे ब्लडप्रेशर, हिमैटोक्रिट और प्लेटलेट काउंट हैं। केवल प्लेटलेट पर ध्यान देना न सिर्फ अपूर्ण है बल्कि कई बार बड़ी हानि भी पैदा कर सकता है। डेंगू की शुरुआत में होने वाले बुखार और बदन दर्द के लिए किसी दवा का सेवन खुद से कभी नहीं करना चाहिए। पैरासीटामॉल के सिवा कोई भी अन्य दवा हानिकारक हो सकती है। दूसरी बात तरल पदार्थों की मुंह से प्रचुर पूर्ति है। मुंह से इस तरह लिया जाता फ्लूइड ब्लड प्रेशर के गिरने के खिलाफ एक प्रतिरोध होता है, लेकिन फिर भी डॉक्टर से संपर्क बनाए रखना चाहिए। अमूमन प्लेटलेटों की गिरती संख्या जब बीस हजार के नीचे हो तभी डॉक्टर प्लेटलेट चढ़ाने की सलाह देते हैं। अधिक स्तर होने पर प्लेटलेट चढ़ाना अधिकतर अनावश्यक है और उसका कोई फायदा नहीं है। इसलिए इलाज कर रहे डॉक्टर की सलाह पर चलना चाहिए। डेंगू के इलाज का अर्थ केवल और केवल प्लेटलेट बढ़ाकर जान बचाना नहीं है। जान तभी बचेगी जब मरीज का कैपिलरी-लीक ठीक होगा।