तुरंत स्तनपान:
बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान करवाने को तुरंत स्तनपान कहते हैं जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चे को मां का पहला गाढ़ा पीला दूध मिल सके जिसे हम स्थानीय भाषा में खीस अथवा कोलस्ट्रम कहते हैं जो बच्चे को अनेक बीमारियों से बचाता है|
बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान करवाने को तुरंत स्तनपान कहते हैं जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चे को मां का पहला गाढ़ा पीला दूध मिल सके जिसे हम स्थानीय भाषा में खीस अथवा कोलस्ट्रम कहते हैं जो बच्चे को अनेक बीमारियों से बचाता है|
केवल स्तनपान-
6 माह तक केवल मां का दूध पिलाना , इसके अतिरिक्त पानी या कोई अन्य तरल पदार्थ न देना,केवल स्तनपान कहलाता है | यदि बच्चा बीमार हो तो विटामिन , ओ.आर.एस. अथवा दवाएं दी जा सकती हैं। रानी अवन्तीबाई जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान ने बताया कि बच्चे को जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान कराना चाहिये | यह शिशु को संक्रमण से बचाने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है | इससे डायरिया से बचाव होता है | यह सुपाच्य होता है, अतः शिशु के पेट में गड़बड़ होने की आशंका कम होती है | यह शिशु को सर्दी से भी बचाता है क्योंकि माँ का दूध बच्चे को उसी तापमान में मिलता है जो उसके शरीर का होता है | 1 महीने से 1 साल तक के बच्चे को सडेन इंफेंट डेथ सिंड्रोम(SIDS ) का खतरा होता है | माँ का दूध बच्चे को इस खतरे से भी बचाता है | यह बच्चे के मानसिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है | डॉ. सलमान बताते हैं कि बच्चे को 6 माह तक केवल माँ का दूध पिलाना चाहिए | 6 माह के बाद बच्चे को माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार देना चाहिए |
6 माह तक केवल मां का दूध पिलाना , इसके अतिरिक्त पानी या कोई अन्य तरल पदार्थ न देना,केवल स्तनपान कहलाता है | यदि बच्चा बीमार हो तो विटामिन , ओ.आर.एस. अथवा दवाएं दी जा सकती हैं। रानी अवन्तीबाई जिला महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान ने बताया कि बच्चे को जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान कराना चाहिये | यह शिशु को संक्रमण से बचाने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है | इससे डायरिया से बचाव होता है | यह सुपाच्य होता है, अतः शिशु के पेट में गड़बड़ होने की आशंका कम होती है | यह शिशु को सर्दी से भी बचाता है क्योंकि माँ का दूध बच्चे को उसी तापमान में मिलता है जो उसके शरीर का होता है | 1 महीने से 1 साल तक के बच्चे को सडेन इंफेंट डेथ सिंड्रोम(SIDS ) का खतरा होता है | माँ का दूध बच्चे को इस खतरे से भी बचाता है | यह बच्चे के मानसिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है | डॉ. सलमान बताते हैं कि बच्चे को 6 माह तक केवल माँ का दूध पिलाना चाहिए | 6 माह के बाद बच्चे को माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार देना चाहिए |
स्तनपान कराने से माँ को होने वाले लाभ-
जिला स्तरीय प्रशिक्षक व जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी ने बताया कि स्तनपान से जहां बच्चे को लाभ मिलता है वहीं माँ को भी इससे फायदा होता है | स्तनपान कराने वाली महिलाएं रोगमुक्त रहती है। इससे मां को तनाव कम होता है और प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इससे माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। स्तनपान कराना एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है | मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है। बच्चा अपनी मां को जल्दी पहचानने लगता है। स्तनपान के लिए माँ अधिक कैलोरी का इस्तेमाल करती हैं जिससे यह प्राकृतिक ढंग से वजन को कम करने और मोटापे से बचने में मदद करता है।
जिला स्तरीय प्रशिक्षक व जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी ने बताया कि स्तनपान से जहां बच्चे को लाभ मिलता है वहीं माँ को भी इससे फायदा होता है | स्तनपान कराने वाली महिलाएं रोगमुक्त रहती है। इससे मां को तनाव कम होता है और प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इससे माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। स्तनपान कराना एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है | मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है। बच्चा अपनी मां को जल्दी पहचानने लगता है। स्तनपान के लिए माँ अधिक कैलोरी का इस्तेमाल करती हैं जिससे यह प्राकृतिक ढंग से वजन को कम करने और मोटापे से बचने में मदद करता है।
स्तनपान के मिथक और वास्तविकता-
1. मिथक :- अगर स्तनों का आकार छोटा है तो बच्चे के लिए पर्याप्त दूध नहीं बन पायेगा |
वास्तविकता :- स्तनपान कराने के लिए स्तनों के अकार का कोई फर्क नहीं पड़ता है | अगर माँ स्वस्थ है तो बच्चे को पिलाने के लिए पर्याप्त दूध बनता है |
1. मिथक :- अगर स्तनों का आकार छोटा है तो बच्चे के लिए पर्याप्त दूध नहीं बन पायेगा |
वास्तविकता :- स्तनपान कराने के लिए स्तनों के अकार का कोई फर्क नहीं पड़ता है | अगर माँ स्वस्थ है तो बच्चे को पिलाने के लिए पर्याप्त दूध बनता है |
2. मिथक :- स्तनपान सिर्फ बच्चे के लिए फायदेमंद होता है |
वास्तविकता :- अगर कोई महिला अपने बच्चे को नियमित स्तनपान कराती है, तो इससे ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा काफी कम हो जाता है |
वास्तविकता :- अगर कोई महिला अपने बच्चे को नियमित स्तनपान कराती है, तो इससे ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा काफी कम हो जाता है |
3. मिथक :-स्तनपान कराने से स्तनों का आकार बिगड़ जाता है |
वास्तविकता :-स्तनपान कराने से स्तनों के आकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | 4. मिथक :- माँ की तबियत खराब हो तो बच्चे को स्तनपान नहीं कराना चाहिए |
वास्तविकता :- माँ की तबियत खराब होने पर भी को स्तनपान कराया जा सकता है |
वास्तविकता :-स्तनपान कराने से स्तनों के आकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | 4. मिथक :- माँ की तबियत खराब हो तो बच्चे को स्तनपान नहीं कराना चाहिए |
वास्तविकता :- माँ की तबियत खराब होने पर भी को स्तनपान कराया जा सकता है |
5. मिथक :- पाउडर वाला दूध माँ के दूध से बेहतर होता है |
वास्तविकता :- माँ के दूध में एंटीबाडीज, लिविंग सेल्स, एंजाइम्स और होर्मोनेस होते हैं जो कि फार्मूला मिल्क से ज्यादा बेहतर होते हैं |
वास्तविकता :- माँ के दूध में एंटीबाडीज, लिविंग सेल्स, एंजाइम्स और होर्मोनेस होते हैं जो कि फार्मूला मिल्क से ज्यादा बेहतर होते हैं |
क्या कहते हैं आंकड़े : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के अनुसार उत्तर प्रदेश में 1 घंटे के अंदर स्तनपान की दर अभी मात्र 25.2 फीसदी है जो कि काफी कम है | अन्य प्रदेशों की तुलना में, उत्तर प्रदेश में 6 माह तक केवल स्तनपान की दर 41.6 फीसदी है |
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के अनुसार लखनऊ जिले में 1 घंटे के अंदर स्तनपान की दर अभी मात्र 22.3 फीसदी और जनपद में 6 माह तक केवल स्तनपान की दर 47 फीसदी है |