सरकार गठन के बाद मुख्यमंत्री योगी ने पिछड़ों को लेकर कई घोषणाएं की थीं, लेकिन उनमें से ज्यादातर कोरी ही साबित हुईं। सबसे बड़ा वादा पिछड़ों को तीन उपजातियों में बांटने का था। ताकि उन्हें आरक्षण का सही लाभ मिल सके। राजभर ने इस मुद्दे को अपना एजेंडा बना लिया और जब तक इसको लेकर वह योगी मंत्रिमंडल को धमकियां देते रहे हैं। योगी ने फिलहाल उन्हें मना लिया है, लेकिन उन्होंने 24 फरवरी तक अपनी सभी मांगें पूरी होने की शर्त रखी है।
अनुप्रिया रूठ गईं
लंबे समय बाद गठित पिछड़ा वर्ग आयोग में अपने मनपसंद लोगों को न बिठा पाने पर क्षुब्ध होकर उन्होंने पिछड़ा वर्ग विभाग मुख्यमंत्री को लौटा दिया था। मान-मनौव्वल के बाद उनके बिगड़े सुर सुधरे तो कुर्मियों की नेता अनुप्रिया पटेल रूठ गईं। पिछड़ा वर्ग आयोग में उनके बताये नामों को पदाधिकारी न बनाये जाने को लेकर वह काफी नाराज हैं। इसके अलावा उनका आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग की नीतियों में भी उनकी नहीं सुनी जाती। इसी तरह के कुछ और गंभीर आरोपों को लगाते हुए उन्होंने मोदी और योगी दोनों नेताओं के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है।
लंबे समय बाद गठित पिछड़ा वर्ग आयोग में अपने मनपसंद लोगों को न बिठा पाने पर क्षुब्ध होकर उन्होंने पिछड़ा वर्ग विभाग मुख्यमंत्री को लौटा दिया था। मान-मनौव्वल के बाद उनके बिगड़े सुर सुधरे तो कुर्मियों की नेता अनुप्रिया पटेल रूठ गईं। पिछड़ा वर्ग आयोग में उनके बताये नामों को पदाधिकारी न बनाये जाने को लेकर वह काफी नाराज हैं। इसके अलावा उनका आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग की नीतियों में भी उनकी नहीं सुनी जाती। इसी तरह के कुछ और गंभीर आरोपों को लगाते हुए उन्होंने मोदी और योगी दोनों नेताओं के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है।
अब भाजपा क्या करेगी?
देखना है कि उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत कुर्मी-पटेल मतों की एकमात्र नेता बताने वाली अनुप्रिया की बातों को और उनके आरोपों को भाजपा कितना तवज्जो देती है। लेकिन माना यह जा रहा है कि जैसे-जैसे चुनाव तारीख नजदीक आ रही है, ज्यादा सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा गठबंधन में शामिल दल भी दबाव बनाओ नीति के तहत आंखें तरेरने लगे हैं।
देखना है कि उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत कुर्मी-पटेल मतों की एकमात्र नेता बताने वाली अनुप्रिया की बातों को और उनके आरोपों को भाजपा कितना तवज्जो देती है। लेकिन माना यह जा रहा है कि जैसे-जैसे चुनाव तारीख नजदीक आ रही है, ज्यादा सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा गठबंधन में शामिल दल भी दबाव बनाओ नीति के तहत आंखें तरेरने लगे हैं।