सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खाली किया गया था बंगला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अखिलेश यादव द्वारा बंगला खाली किया गया था। बंगला खाली करने के पहले उसमें कई प्रकार की तोड़फोड़ सामने आई थी। हालांकि PWD की शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया था कि एसी निकालने के दौरान दीवारों में तोड़फोड़ की गई थी। फॉल्स सीलिंग और फर्श में लगे मार्बल को छतिग्रस्त किया गया पर शासन ने इस रिपोर्ट पर पूर्ण नहीं माना था। मामले में पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने बताया कि बिल्डिंग निर्माण में 260 आइटम लगते हैं। इनकी जांच करना किसी एक इंजीनियर के लिए मुमकिन नहीं है। हकीकत में पूर्व मुख्यमंत्री के बंगले में राज्य संपत्ति विभाग से स्वीकृत नक्शे से कहीं ज्यादा काम करवाया गया है। रिकॉर्ड में सिर्फ ग्राउंड फ्लोर स्वीकृत है, जबकि फर्स्ट फ्लोर पर कमरे और वेटिंग हॉल बनाया गया है। इस निर्माण में हुए नुकसान को शासकीय क्षति मानी जाए या नहीं यह सरकार पर निर्भर करता है। वहीं हाईकोर्ट में इस मामले में दाखिल पीआईएल को देखते हुए अफसर जांच में कोई चूक नहीं करना चाहते हैं।
बता दें कि इससे पहले राज्यपाल राम नाईक ने भी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश के सरकारी बंगला खाली करने के दौरान वहां हुई तोड़फोड़ के आरोप पर प्रदेश सरकार से पूरे प्रकरण पर कार्रवाई करने की सिफारिश और जांच कराए जाने की बात कही थी।