चार कैबिनेट मंत्रियों को छोडऩा पड़ेगा पद
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनाव परिणाम आने के पहले ही उप्र में पार्टी कार्यकर्ताओं को मिशन 2022 के लिए जुटने के निर्देश दे दिए हैं।इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव परिणाम के पहले ही संगठन और सरकार में फेरबदल की तैयारियां शुरू कर दी हैं। योगी सरकार के चार मंत्री लोकसभा चुनाव मैदान में थे। इनमें महिला कल्याण और पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी-इलाहाबाद, खादी ग्रामोद्योग, लघु उद्योग, हथकरघा मंत्री सत्यदेव पचौरी-कानपुर, पशुधन मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल-आगरा और सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा-अंबेडकरनगर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी हैं। माना जा रहा है यह चारों मंत्री सांसद बन रहे हैं। यदि यह चुनाव जीते तो इन्हें लोकसभा जाना होगा। चुनाव चुनाव हारने पर इनको मंत्री पद गंवाना पड़ सकता है।
फेरबदल में नए को तरजीह
पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्तगी के बाद उनका विभाग भले ही तात्कालिक तौर पर अनिल राजभर को दे दिया गया हो लेकिन योगी जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे तब पिछड़ा वर्ग विभाग किसी नए चेहरे को दिया जाएगा।
जातियों को साधने की कवायद
मिशन 2022 को साधने के लिए योगी मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण को दुरुस्त किया जाएगा। अभी सरकार में धोबी, कोरी और वाल्मिकी और पिछड़ों में गड़रिया, गुर्जर और मल्लाह संवर्ग से कोई मंत्री नहीं है। इसलिए इन जातियों को प्रतिनिधित्व दिए जाने की तैयारी है। कुछ राज्य मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रमोट किया जाएगा।
संगठन में भी फेरबदल की संभावना
सरकार के साथ भाजपा अपने संगठन में भी बदलाव करने की रणनीति पर विचार कर रही है। संगठन के विभिन्न प्रभागों के पदाधिकारियों का कार्यकाल उनके प्रदर्शन के आधार पर निर्भर करेगा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय यदि दोबारा जीतते हैं तो इस बार उन्हें केंद्र में मंत्री पद से नवाजा जाएगा। इस तरह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का पद खाली होगा। इसी तरह भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त-बलिया, भाजपा अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष विनोद सोनकर-कौशांबी,अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर-मोहनलालगंज, पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश वर्मा-सीतापुर से चुनाव लड़ा है। यदि यह सभी पदाधिकारी चुनाव जीतते हैं तो इनकी केंद्र में मंत्री पद की दावेदारी मजबूत हो जाएगी। यदि यह नेता चुनाव हार गए तब भी इन्हें इनके पदों से हटा दिया जाएगा। इस तरह से संगठन में भारी फेरबदल होगा।