गठबंधन का यह हो सकता है भविष्य मायावती ने कहा कि अखिलेश और डिंपल से रिश्ते कभी खत्म नहीं होंगे। उनके राजनीतिक स्वार्थ के लिए रिश्ते नहीं हैं। जब से गठबंधन हुआ, तब से अखिलेश ने उन्हें बड़ा सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ यादव समाज नहीं टिका रह सका। यादव बाहुल्य सीटों पर भी सपा के मजबूत उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि कन्नौज, फिरोजाबाद और बदायूं सीट पर सपा की करारी हार ने गठबंधन पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। अगर सपा का बेस वोट खुद सपा को नहीं मिला, तो बसपा को कैसे मिल सकता है।
चुनाव में मिली इतनी सीटें बता दें कि सपा-बसपा ने 12 जनवरी को गठबंधन किया था। गठबंधन के फॉर्मूले के तहत दोनों में 37-38 सीटों का बंटवारा हुआ था। 50 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा करने वाले सपा को 5 और बसपा को 10 सीटें ही नसीब हुईं। वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन ने 64 सीटों पर जीत दर्ज की।