मौके पर मौजूद क्षेत्रीय संगठन मंत्री रमेश गड़िया ने कहा कि विश्वविद्यालय में सेमेस्टर प्रणाली लागू करना छात्रों के उपर अतरिक्त आर्थिक बोझ डालना है। यह बिल्कुल ठीक नहीं है। पहले से दूर गांवो से आने वाले छात्र बड़ी विपरीत परिस्थितियों में शिक्षा ग्रहण कर रहा है। उपर यह व्यवस्था लागू करके सरकार उनके साथ अन्याय करने जा रही है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में छात्र शिक्षक का अनुपात के अनुसार संसाधन नहीं हैं। फिर भी सेमेस्टर सिस्टम लागू कर दिया गया है। इस व्यवस्था से शिक्षण संस्थाओं पर दबाव बढ़ेगा। रमेश ने कहा शोध के लिहाज से सेमेस्टर सिस्टम अच्छा नहीं है, इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
एबीवीपी की उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालय प्रमुख प्रवीण गुंजन ने कहा कि सेमेस्टर प्रणाली अभिभावकों की जेब पर अतिरिक्त भार डालेगी। वहीं, गरीब छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जो गरीब छात्र साल में एक बार कर्ज लेकर प्रवेश लेता था, अब उस छात्र को साल में दो बार कर्जा लेना पड़ेगा। उन्होंने कहा, सेमेस्टर प्रणाली लागू करके गरीब तबके के छात्रों को शिक्षा से मरहूम रहना पड़ेगा। जो छात्र वार्षिक फीस बड़ी मुश्किल से जमा कर पाते हैं वह तो सेमेस्टर प्रणाली लागू होने से पढ़ाई से वंचित हो जाएंगे।
प्रांत मंत्री राहुल बाल्मिकी ने कहा कि सेमेस्टर प्रणाली लागू होने के बाद 180 दिनों की कक्षाएं सुचारू रूप से संचालित नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि सेमेस्टर प्रणाली लागू होने के बाद परीक्षाओं के दबाव के चलते अन्य गतिविधियां एनसीसी, एनएसएस, खेल , सहित्य एवं संस्कृतिक गतिविधियां भी प्रभावित होगीं।