दरअसल आंकड़ों के मुताबिक यूपी में साल 2016-17 में 23 लाख हेक्टयर गन्ने की जो खेती होती थी वे 2017-18 के बीच 27 लाख हेक्टेयर पहुंच गई। मतलब साफ है कि चार लाख हेक्टेयर गन्ने की खेती साल भर में बढ़ गई। वहीं इसी समय में महाराष्ट्र में 7.75 लाख हेक्टयर से 9.15 लाख हेक्टेयर हुई। वहीं कर्नाटक में 4.1 लाख हेक्टेयर से बढ़कर सिर्फ 4.15 लाख हेक्टेयर की खेती हुई। इस लिहाज से यूपी में सबसे अधिक गन्ने की खेती में बढ़ोत्तरी हुई। यही कारण हैं कि चीनी का उत्पादन उस साल 18 प्रतिशत बढ़ा।
बढ़ सकता है सैप इस बार भी चीनी उत्पादन 120 लाख टन से बढ़कर 130 लाख टन होने वाला है। इस कारण स्टेट एडवाइजरी प्राइस बढ़ सकता है। वहीं पिछले साल भी गन्ने की खेती में सरकार ने गन्ना किसानों का खरीद मूल्य बढ़ा दिया था। स्टेट एडवाइजरी प्राइस (सैप) ने गन्ना किसानों के तीन तरह के गन्नों की खरीद में 10 रुपये की बढ़ोत्तरी की। उच्च गुणवत्ता वाले गन्ने का मूल्य 315 रुपये से बढ़ाकर 325 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। वहीं सामान्य गुणवत्ता वाले गन्ने का मूल्य अब 305 रुपये प्रति क्विंटंल से बढ़कर 315 रुपये हो गया है। सैप ने सबसे कम गुणणवत्ता वाले गन्ने का मूल्य 300 रुपये से बढ़ाकर 310 रुपये प्रति क्विंटंल किया था। 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसे और बढ़ाया भी जा सकता है।
पुराना 10,000 करोड़ रुपए का पूरा बकाया चुका दिया जाए
गन्ना विकास राज्य मंत्री सुरेश राणा ने कहा है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आगामी अक्तूबर में चीनी मिलों में पेराई आरंभ होने से पहले किसानों को उनके गन्ने का पुराना 10,000 करोड़ रुपए का पूरा बकाया चुका दिया जाए। उन्होंने कहा कि आने वाले सप्ताह में सहकारी और निजी क्षेत्र की मिलों पर गन्ने की बकाया राशि का निपटान करने के लिए 5,535 करोड़ रुपये की मदद का पैकेज मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाए। राणा ने कहा कि राज्य सरकार ने गन्ना बकाया राशि के प्रत्यक्ष भुगतान के लिए सहकारी मिलों को 1,010 करोड़ रुपये, सरकारी मिलों को 25 करोड़ रुपये और निजी मिलों को 500 करोड़ रुपए प्रदान करने की योजना बनाई है। निजी मिलों को आसान शर्तों पर 4,000 करोड़ रुपए की ऋ ण सहायता उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने 2017-18 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में देश में 3.2 करोड़ टन चीनी उत्पादन में 38 प्रतिशत योगदान किया। उन्होंने कहा कि फसल अच्छी होने तथा चीनी का पड़ता बेहतर होने से चीनी का उत्पादन बढ़ा है। इस उत्पादन के कारण सरकार की चिंताएं भी बढ़ी हैं।
गन्ना विकास राज्य मंत्री सुरेश राणा ने कहा है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आगामी अक्तूबर में चीनी मिलों में पेराई आरंभ होने से पहले किसानों को उनके गन्ने का पुराना 10,000 करोड़ रुपए का पूरा बकाया चुका दिया जाए। उन्होंने कहा कि आने वाले सप्ताह में सहकारी और निजी क्षेत्र की मिलों पर गन्ने की बकाया राशि का निपटान करने के लिए 5,535 करोड़ रुपये की मदद का पैकेज मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाए। राणा ने कहा कि राज्य सरकार ने गन्ना बकाया राशि के प्रत्यक्ष भुगतान के लिए सहकारी मिलों को 1,010 करोड़ रुपये, सरकारी मिलों को 25 करोड़ रुपये और निजी मिलों को 500 करोड़ रुपए प्रदान करने की योजना बनाई है। निजी मिलों को आसान शर्तों पर 4,000 करोड़ रुपए की ऋ ण सहायता उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने 2017-18 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में देश में 3.2 करोड़ टन चीनी उत्पादन में 38 प्रतिशत योगदान किया। उन्होंने कहा कि फसल अच्छी होने तथा चीनी का पड़ता बेहतर होने से चीनी का उत्पादन बढ़ा है। इस उत्पादन के कारण सरकार की चिंताएं भी बढ़ी हैं।
सियासी गर्माहट, विपक्ष ने योगी को कहा-किसान विरोधी योगी आदित्यनाथ द्वारा गन्ना बोआई कम करने की सलाह पर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। विपक्ष के नेताओं ने मुख्यमंत्री को किसान विरोधी करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि पूंजीपतियों की हितचिंतक भाजपा को जनता सबक सिखाने का इंतजार कर रही है। इस मामले में किसान संगठन भी विपक्ष के साथ खड़े हो गए हैं।
किसान विरोधी चेहरा उजागर हो गया है
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा का किसान विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। गन्ना किसानों को दी मुख्यमंत्री की सलाह के पीछे किसानों को अपमानित करने की मानसिकता है। अब किसानों को कम गन्ना खेती करने का सुझाव दिया जा रहा तो आने वाले दिनों में आलू, गेंहू, धान व मक्का बोने वालों को भी नया फरमान सुनाया जा सकता है।
किसान विरोधी चेहरा उजागर हो गया है
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा का किसान विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। गन्ना किसानों को दी मुख्यमंत्री की सलाह के पीछे किसानों को अपमानित करने की मानसिकता है। अब किसानों को कम गन्ना खेती करने का सुझाव दिया जा रहा तो आने वाले दिनों में आलू, गेंहू, धान व मक्का बोने वालों को भी नया फरमान सुनाया जा सकता है।
लगातार गैर जिम्मेदाराना बयान देते रहे हैं
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा है कि सूटबूट वालों की भाजपा सरकार को किसानों से कोई सरोकार नहीं है। प्रदेश में किसान ही सर्वाधिक परेशान है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार गैर जिम्मेदाराना बयान देते रहे हैं। किसानों के दर्द से भाजपा नेताओं को मतलब नहीं है। रालोद प्रदेश अध्यक्ष डा. मसूद अहमद ने आरोप लगाया कि किसानों का बकाया करोड़ों रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं करने वाली भाजपा सरकार इधर-उधर बयानबाजी कर माहौल बिगाडऩे में लगी है। पूंजीपतियों की सरकार को किसानों की समस्याओं का न ज्ञान है और न उनके प्रति कोई संवेदना है। मुख्यमंत्री इस तरह के बयान देकर जमीनें हड़पने की नीयत जता रहे हैं।
गन्ना बोना किसानों की मजबूरी
किसानों का कहना है कि गन्ना वह अपनी मर्जी से नहीं बोते हैं, बल्कि दूसरी फ़सलों के लिए इलाक़े की ज़मीन उपयुक्त नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत लखीमपुर,सीतापुर समेत अन्य जिलों की जो भौगोलिक बनावट है उसमें गन्ने की फ़सल आसानी से होती है, इसलिए गन्ना बोना किसानों की मजबूरी भी है। दूसरे चीनी मिलों की अधिकता के कारण गन्ने का बाज़ार भी आसानी से मिल जाता है।
चीनी मिलों पर 12 हजार करोड़ बकाया
मौजूदा सीजन में चीनी मिलों पर किसानों का 12,000 करोड़ रूपया बकाया है। मिल मालिक देश में गन्ने की क़ीमतें गिरने की वजह से हुए नुक़सान की भारपाई के लिए सरकार से राहत पैकेज मांग रहे हैं। बीते साल जुलाई में जो गन्ना 3721 रूपए प्रति क्विंटल था, उसके दाम इस साल 2700 रूपए प्रति क्विंटल तक गिर गए थे।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा है कि सूटबूट वालों की भाजपा सरकार को किसानों से कोई सरोकार नहीं है। प्रदेश में किसान ही सर्वाधिक परेशान है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार गैर जिम्मेदाराना बयान देते रहे हैं। किसानों के दर्द से भाजपा नेताओं को मतलब नहीं है। रालोद प्रदेश अध्यक्ष डा. मसूद अहमद ने आरोप लगाया कि किसानों का बकाया करोड़ों रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं करने वाली भाजपा सरकार इधर-उधर बयानबाजी कर माहौल बिगाडऩे में लगी है। पूंजीपतियों की सरकार को किसानों की समस्याओं का न ज्ञान है और न उनके प्रति कोई संवेदना है। मुख्यमंत्री इस तरह के बयान देकर जमीनें हड़पने की नीयत जता रहे हैं।
गन्ना बोना किसानों की मजबूरी
किसानों का कहना है कि गन्ना वह अपनी मर्जी से नहीं बोते हैं, बल्कि दूसरी फ़सलों के लिए इलाक़े की ज़मीन उपयुक्त नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत लखीमपुर,सीतापुर समेत अन्य जिलों की जो भौगोलिक बनावट है उसमें गन्ने की फ़सल आसानी से होती है, इसलिए गन्ना बोना किसानों की मजबूरी भी है। दूसरे चीनी मिलों की अधिकता के कारण गन्ने का बाज़ार भी आसानी से मिल जाता है।
चीनी मिलों पर 12 हजार करोड़ बकाया
मौजूदा सीजन में चीनी मिलों पर किसानों का 12,000 करोड़ रूपया बकाया है। मिल मालिक देश में गन्ने की क़ीमतें गिरने की वजह से हुए नुक़सान की भारपाई के लिए सरकार से राहत पैकेज मांग रहे हैं। बीते साल जुलाई में जो गन्ना 3721 रूपए प्रति क्विंटल था, उसके दाम इस साल 2700 रूपए प्रति क्विंटल तक गिर गए थे।