बरेली और बदायूं जिलों के एक लाख के कऱीब रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट लखनऊ से भेजी गई थीं। जांच के बाद स्वास्थ्य विभाग इस रहस्यमयी बीमारी को जानलेवा मलेरिया की किस्म-प्लाजमोडियम फाल्सीपेरमज मान रहा है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के ही कुछ डॉक्टरों की टीम इस जांच रिपोर्ट को सही नहीं मानती। उनके मुताबिक, नौ महीनों में विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों से खून के 8,862 नमूने जांच के लिए आए थे, इनमें मलेरिया पीएफ का एक भी मामला सामने नहीं आया। इनके मुताबिक कुछ मामले मलेरिया पीवी (प्लाज़्मोडियम वाइवैक्स) के ज़रूर मिले थे। बरेली में लखनऊ की टीम ने मलेरिया पीएफ की जांच आरडीटी किट से की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने भी इस जांच को सही मान लिया।
यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह इस बीमारी को दिमागी बुखार बता रहे हैं। उन्होंने तो बरेली में डॉक्टरों के साथ बैठक में यहां तक कह दिया कि विभाग ने जांच के नाम पर धोखा किया। दिमागी बुखार से मौतें होती रहीं और इलाज वायरल तथा मलेरिया का होता रहा। इसके उलट स्वास्थ्य विभाग इस रहस्यमयी बीमारी को जानलेवा मलेरिया की किस्म-प्लाजमोडियम फाल्सीपेरमज मान रहा है।
स्वास्थ्य निदेशालय में संक्रामक रोग विभाग के निदेशक डॉक्टर मिथिलेश चतुर्वेदी अब भी कह रहे हैं कि बुखार पीड़ितों की मौत का अभी कोई एक सही कारण सामने नहीं आया है। पीड़ितों से लिए गए नमूनों की क्षेत्रीय प्रयोगशाला में जांच से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उनमें डेंगू, चिकनगुनिया जैसी किसी बीमारी के वायरस थे या नहीं।
कहां कितनी मौतें
बदायूं में 199, बरेली में 140, बहराइच में 71, बरेली में 42, सीतापुर में 33, हरदोई में 30, शाहजहांपुर में 22, कानपुर देहात में 17, बदायूं में 16 और पीलीभीत में बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा अन्य जिलों से भी बच्चों के मरने की खबरें आ रही हैं। हालांकि, ये डाटा अभी अनधिकृतक है। विभाग ने इतनी मौतों की पुष्टि नहीं की है।
बदायूं में 199, बरेली में 140, बहराइच में 71, बरेली में 42, सीतापुर में 33, हरदोई में 30, शाहजहांपुर में 22, कानपुर देहात में 17, बदायूं में 16 और पीलीभीत में बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा अन्य जिलों से भी बच्चों के मरने की खबरें आ रही हैं। हालांकि, ये डाटा अभी अनधिकृतक है। विभाग ने इतनी मौतों की पुष्टि नहीं की है।
हर दो मिनट में तीन नवजातों की मौत : रिपोर्ट
हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में औसतन हर दो मिनट में तीन नवजात की जान चली जाती है। इसका कारण पानी, स्वच्छता, उचित पोषाहार या बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 में 8,02,000 शिशुओं की मौत हुई थी, हालांकि यह आंकड़ा पिछले पांच वर्ष में सबसे कम है, लेकिन दुनियाभर में यह आंकड़ा अब भी सर्वाधिक है।
हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में औसतन हर दो मिनट में तीन नवजात की जान चली जाती है। इसका कारण पानी, स्वच्छता, उचित पोषाहार या बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 में 8,02,000 शिशुओं की मौत हुई थी, हालांकि यह आंकड़ा पिछले पांच वर्ष में सबसे कम है, लेकिन दुनियाभर में यह आंकड़ा अब भी सर्वाधिक है।
332 टीमें लगाईं
बरेली-बदायू में मलेरिया के 2258 नये मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बरेली, हरदोई, पीलीभीत, शाहजहांपुर, सीतापुर, बदायूं और बहराइच में संक्रामक रोगों को रोकने के लिये 332 टीमें लगाई हैं। इनमें हरदोई और सीतापुर में राज्य स्तरीय टीमें भेजने की तैयारी है। संयुक्त निदेशक संचारी रोग डॉ. विकासेंदु अग्रवाल ने बताया कि बरेली में 1886, बदायूं में 372, सीतापुर में 28, शाहजहांपुर में 08,पीलीभीत में 10, हरदोई में 132, मलेरिया रोगी मिले हैं।
बरेली-बदायू में मलेरिया के 2258 नये मरीज मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बरेली, हरदोई, पीलीभीत, शाहजहांपुर, सीतापुर, बदायूं और बहराइच में संक्रामक रोगों को रोकने के लिये 332 टीमें लगाई हैं। इनमें हरदोई और सीतापुर में राज्य स्तरीय टीमें भेजने की तैयारी है। संयुक्त निदेशक संचारी रोग डॉ. विकासेंदु अग्रवाल ने बताया कि बरेली में 1886, बदायूं में 372, सीतापुर में 28, शाहजहांपुर में 08,पीलीभीत में 10, हरदोई में 132, मलेरिया रोगी मिले हैं।