जयपुरPublished: May 30, 2019 07:48:19 pm
Hemant Pandey
नासा के साइंटिस्ट डॉ. वेंकटेश्वरन को मरीन फूड और एनवायमेंटल माइक्रोबायोलॉजी पर रिसर्च का करीब 48 वर्षों अनुभव है।
इन्होंने बताया कि स्पेस में भी होते हैं जिम जैसे रोगाणु
शोधकर्ताओं की एक टीम ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) के अंदर की सतह को ठीक वैसे ही रोगाणुओं से भरा पाया, जैसा पृथ्वी पर किसी जिम या कार्यालय में। ये स्टेशन की प्रयोगशाला में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा बन सकता है। शोधकर्ताओं के दल में भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. कस्तूरी वेंकटेश्वर भी थे। नासा जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री (जेपीएल) के डॉ. वेंकटेश्वरन का कहना है कि इस अध्ययन का उद्देश्य अंतरिक्षयात्रियों के सुरक्षा उपायों की ओर ध्यान दिलाना प्रमुख है। शोधकर्ताओं ने 14 महीनों में तीन अंतरिक्ष उड़ानों के दौरान खिड़की, शौचालय, व्यायाम मंच, डाइनिंग टेबल और स्लीपिंग कैबिन सहित आइएसएस के आठ स्थानों पर सतह से लिए गए नमूनों का अध्ययन किया। स्टेशन पर मिले ज्यादातर रोगाणु इंसानों से संबद्ध थे। इनमें स्टेफिलोकोकस, पैंटोआ और बेसिलस प्रमुख हैं। ये आमतौर पर नाक और त्वचा के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और अपना दुष्प्रभाव छोड़ते हैं। अध्ययन के मुताबिक रोगाणुओं की तरह ही आइएसएस की सतह पर पाए जाने वाले रोगाणु पृथ्वी पर जिम, दफ्तरों और अस्पतालों में मिलने वाले रोगाणुओं जैसे ही थे।