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बार-बार घर बदलने से बदल जाती है बच्चों की दुनिया

सवाल : हमें अपने काम के लिए बार-बार शहर बदलना पड़ता है। इसका असर मेरी नौ वर्ष की बेटी पर पड़ता है। वह इस बात से डर जाती है कि उसके स्कूल के बच्चे-टीचर और आस पड़ोस में रहने वाले नए कैसे होंगे। इससे कैसे बचा जा सकता है?

जयपुरMay 30, 2019 / 08:11 pm

Hemant Pandey

जवाब : किसी अभिभावक के लिए बच्चों को मुश्किल में देखना काफी पीड़ादायक होता है। बार-बार जगह या शहर बदले से वयस्कों की तरह बच्चों को भी परेशानी होती है। कुछ बच्चे तो ज्यादा ही संवेदनशील होते हैं, उन्हें संभालना मुश्किल होता है। जोखिम, विफलता, आगे बढऩा, कामयाब होना जीवन में खुशी का हिस्सा है। इन सबका जीवन में काफी महत्व है। वैसे आपकी बच्ची की उम्र महज 9 वर्ष है। वह बिलकुल ही परिपक्व नहीं है। इस उम्र में बच्चे अधिकतर समय स्कूल में होते हैं और बाकी के समय दोस्तों के साथ रहना चाहते हैं। वे अपने दोस्तों से इतने घुलमिल जाते हैं कि उन्हें छोडऩा काफी खलता है। वे इस उम्र में बहुत ही संवेदनशील हो जाते हैं। ऐसे में स्थान या शहर बदलने पर वे टूटने लगते हैं।

इन तरीकों से बच्चों को संभालें
सबसे पहले बच्चे के स्कूल जाएं और उसके टीचर से उसके बारे में विस्तार से बताएं जैसे उसका लक्ष्य क्या है, पसंदीदा जानवर या मिठाई कौनसी है। यह बातें थोड़े अजीब हैं लेकिन यह टीचर और स्टूडेंट्स के बीच माध्यम हो सकती हैं। बच्चे को नए स्कूल जाने पर आत्मविश्वास बढ़ेगा। टीचर का फ्रेंडली व्यवहार भी इसमें मदद करता है।
दूसरा, शहर छोडऩे से अपने बच्चे के लिए अगल से एक छोटी यात्रा प्लान करें। यह बच्चे को अचानक से नए शहर जाने वाले सदमे से बचाव करेगा। इसके साथ ही पड़ोसियों, पसंदीदा स्थानों और उसके दोस्तों की फोटो एलबम बनाएं। फोटो के डिजिटल चैटबुक भी बनवा सकते हैं।
तीसरा, जहां जाते हैं तो पहुंचने के बाद पड़ोस के लोगों को अपने घर बुलाएं और उसके लिए स्नैक्स आदि की व्यवस्था करें तो वे आपके साथ कुछ समय रहें। इससे उस समुदाय में भी बच्चे की भागीदारी बढ़े और खुद को अच्छा महसूस कर सके।

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