scriptकांठल में भी शिमला मिर्च की खेती | Capsicum also cultivated in Kanthal | Patrika News

कांठल में भी शिमला मिर्च की खेती

Published: Aug 06, 2017 12:29:00 pm

Submitted by:

rajesh dixit

शेड नेट हाउस में शिमला मिर्च की खेती
कृषि विज्ञान केन्द्र ने जिले में लगाए १७ किसानों के यहां शेड नेट हाउस

बड़ीसाखथली. कांठल में अब बेमौसम विभिन्न सब्जियों का उत्पादन होने लगा है। यह सम्भव हुआ है, कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से लगाए गए शेड नेट हाउस से। वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रायोजित व कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से आयोजित शेड नेट हाउस योजना के तहत जिले में १७ किसानों के खेतों पर शेड नेट हाउस लगाए गए है।
अरनोद क्षेत्र के बड़ी साखथली गांव में कृषक कचरुलाल धाकड़ ने परंपरागत खेती से हटकर अपने खेत में लगाए गए शेड नेट हाउस में शिमला मिर्च की खेती की है। अभी फसल लगाए हुए दो माह हो चुके हैं। इस समय पौधों पर मिर्च लगना शुरू हो गई है। ऐसे में इसके परिणाम को देखकर किसान काफी उत्साहित हैं।
पौधों पर लगने लगी मिर्च
बड़ी साखथली गांव के कृषक कचरूलाल धाकड़ ने अपने खेत पर शेड नेट हाउस लगाने के बाद प्रोत्साहन मिलने के बाद इस शिमला मिर्च की खेती को करने का मानस बना लिया। उन्होंने मध्यप्रदेश के रतलाम के कृषि विज्ञान केंद्र से मिर्च का बीज लेकर आए। सबसे पहले उन्होंने आधा बीघा से कम जगह पर उन्होंने नेट हाउस बनाया। उसके बाद नेट हाउस के अंदर 2 फीट पर उन्होंने ऊंची जगह पर क्यारियां बनाकर बीच में खाली जगह छोडक़र क्यारियां बनाई। क्यारियों में सिंचाई के लिए ड्रिप लगाई। उसके ऊपर मलचिंग सभी क्यारियों में बिछाई गई। मलचिंग के अंदर पौधा बड़ा होने पर बाहर निकल सके, इतने स्थान पर गोलनुमा काट दिया गया। उसके बाद उसके अंदर बीज की बुवाई की। बारिश से पहले हर 3 दिन में ड्रिप से सिंचाई की जाती है। इन दिनों पौधे पर मिर्च लगना शुरू हो गई है। शिमला मिर्च के पौधे बड़े होने पर इसको एक डोरी के सहारे जो पोल से तार बांधा हुआ है, उस पर बांध दिया जाता है। जिस कारण पौधे को टूटने का डर नहीं रहता है।
पांच सौ स्क्वायर मीटर में लगा
शेड नेट हाउस कुल ५१२ स्क्वायर मीटर में लगा हुआ है।
इस पर वस्त्र मंत्रालय की ओर से ९० प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। इसमें कुल 5 लाख रुपए तक का खर्चा आ जाता है। इसमें पांच वर्ष तक फसल बुवाई करना होती है।
सभी मौसम में सुरक्षित
नेट शेड में बोई जाने वाली फसल सभी मौसम में सुरक्षित रहती है। यह खेती बारिश के समय में अगर ज्यादा बारिश भी हो तो कोई ज्यादा पौधों को नुकसान नहीं होता है। वहीं गर्मी में भी तापमान कम रहता है। सर्दी में कम सर्दी का असर होता है।
मिले हैं अनुकूल परिणाम
जिले के टाडा क्षेत्र में किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की ओर से कृषि विज्ञान के साथ शेड नेट हाउस लगाए है। इनमें खीरा ककड़ी, शिमला मिर्च व टमाटर आदि सब्जियां लगाई जा रही हंै। इससे किसानों को लाभ मिलने लगा है। किसानों ने दो माह में २५-३० हजार रुपए तक कमा लिए है।
डॉ. योगेश कन्नोजिया
प्रभारी, कृषि विज्ञान केन्द्र, प्रतापगढ़
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