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पैसों के लिए हो चुका है इन कारोबारी खानदान मे घमासान, हो चुकी है अंबानी बनाम अंबानी की लड़ाई

locationनई दिल्लीPublished: Sep 08, 2018 12:30:45 pm

Submitted by:

manish ranjan

हाल ही में फोर्टिस हेल्थकेयर के संस्थापक सिंह बंधुओं के बीच कारोबार को लेकर घमासान चल रहा हैं। छोटे भाई शिविंदर सिंह ने अपने भाई को कोर्ट तक में घसीट लिया है।

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पैसों के लिए हो चुका है इन कारोबारी खानदान मे घमासान, हो चुकी है अंबानी बनाम अंबानी की लड़ाई

नई दिल्ली। हाल ही में फोर्टिस हेल्थकेयर के संस्थापक सिंह बंधुओं के बीच कारोबार को लेकर घमासान चल रहा हैं। छोटे भाई शिविंदर सिंह ने अपने भाई को कोर्ट तक में घसीट लिया है। इतना ही नहीं शिविंदर सिंह ने अपने बड़े भाई को कारोबारी से भी अलग कर दिया है। पर यह पहला मामला नहीं है, जिसमें कारोबारी घराने के लोग आमने-सामने आए हों। मौजूदा समय में देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी और उनके भाई अनिल अंबानी का झगड़ा भी इससे पहले राष्ट्रीय सुर्खियों में छाया था। दोनों भाइयों के बीच मानहानि के मामले दर्ज हुए, प्रधानमंत्री को चिट्ठियां लिखी गईं और एक-दूजे को कोर्ट तक घसीटा गया। मगर संबंध पटरी पर नहीं लौट पा रहे थे। आलम यह था कि तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी दोनों की सुलह कराने आगे आए थे।आज हम आपको बताने जा रहे हैं देश के ऐसे ही कारोबारी भाई के बारे में जिनके बीच कारोबार और पैसों को लेकर हुई घमासान लड़ाई।
जब हुई अंबानी बनाम अंबानी की लड़ाई
पैसों को लेकर अक्सर बड़े-बड़े करोबारी भाईयों के बीच लड़ाई होती देखी गई हैं। पैसो और कारोबार के लिए दो भाईयों की इस लड़ाई से देश के सबसे अमीर शख्स यानी मुकेश अंबानी तक नहीं बच सके हैं। इस लड़ाई की शुरूआत तब हुई जब साल 2002 में धीरूभाई अंबानी की मृत्यु हो गई। तब शुरु हुई कारोबार को लेकर अंबानी बनाम अंबानी की लड़ाई। ये लड़ाई काफी घमासान रही थी। एक बार तो मुकेश अंबानी ने खुलेआम यह कहकर कॉर्पोरेट दुनिया और स्टॉक मार्केट की सांसें रोक दी थीं कि उनके और छोटे भाई अनिल अंबानी के बीच बंटवारे को लेकर कुछ मतभेद हैं।
इस शख्य ने सुलझाई लड़ाई
धीरूभाई आंबनी के कोई वसीयत नहीं छोड़ी जाने के कारण दोनों के बीच करोबार को लेकर दरार पड़ गई थी।पिता के गुजरने के बाद बड़े बेटे मुकेश रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी बने, जबकि अनिल को वाइस-चेयरमैन का पद मिला। कंपनी पर नियंत्रण को लेकर दोनों में विवाद हुआ। 2005 में मां कोकिलाबेन ने मध्यस्थता करते हुए दोनों भाइयों के बीच रिलायंस की अलग-अलग कंपनियों का बंटवारा किया।
इन कारोबारी घरानों में भी हुई लड़ाई
2004 में दिवंगत माधव प्रसाद बिरला की पत्नी प्रियमवदा नहीं रहीं। वह वसीयत में सारी जायदाद और शेयर सीए राजेंद्र सिंह लोढ़ा के नाम कर गईं। परिजन ने आपत्ति जताते हुए मामला कोर्ट में खींचा। इस लड़ाई में बिरला परिवार ने अरुण जेटली-राम जेठमलानी की मदद भी ली थी। वहीं, 2012 में शराब कारोबारी पॉन्टी चड्ढा और भाई हरदीप के बीच संपत्ति विवाद को लेकर शूटआउट हुआ, जिसमें दोनों मारे गए थे। हरदीप 2010 से बीमार पिता पर पारिवारिक कारोबार को तीनों भाइयों के बीच बांटने को लेकर दबाव बना रहा था। सिंघानिया परिवार में भी पनपा संपत्ति विवाद राष्ट्रीय सुर्खियों में खूब छाया था।
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