क्या हैं मामला
सहारा ग्रुप की दो कंपनियां, सहारा इंडिया रियल स्टेट कॉरपोरशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग ग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने रियल स्टेट में इन्वेस्टमेंट के नाम पर तीन करोड़ से ज्यादा इन्वेस्टर्स से 17,400 करोड़ रूपए जुटाए थें। वर्ष 2009 के सितम्बर माह में सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ लाने के लिए सेबी के पास दस्तावेज जमा किए थें जिसके बाद सेबी ने अगले वर्ष अगस्त माह में दोनों कंपनियों की जांच के आदेश दिया था। बाद में इन कंपनियों में गड़बड़ी मिलने पर यह विवाद बढ़ता गया और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
सेबी अब दावा कर रहीं है कि प्रिंसिपल और इन्टरेस्ट के साथ बढक़र यह रकम अब 37,000 करोड़ रूपए की हो गई हैं। आपको बता दें कि सहारा को अभी तक प्रिंसिपल अमाउंट के 9,000 करोड़ रूपए और चुकाने हैं। सहारा ग्रुप ने एंबी वैली की बिक्रि की कीमत 39,000 करोड़ रूपए से अधिक लगाया हैं। बेंच ने पहले ही एंबी वैली की बिक्री से जुड़े नियम व शर्तों को मंजूरी दे दी थी। जस्टिस दीपक मिश्रा के अगुवाई वाली बेंच सहारा ग्रुप पर लगातार दबाव बना रही हैं। बेंच ने ये साफ कर दिया हैं कि इन्टरेस्ट की रकम चुकाने को लेकर सहारा ग्रुप की आपत्ति पर बेंच के सुनवाई करने से पहले ये भुगतान किया जाए। अभी पिछली सुनवाई 25 जुलाई को ही हुई थी जिसमें सहारा ग्रुप रकम चुकाने के लिए और समय मांगा था।
सहारा ने कोर्ट में प्रपोजल में बाकी का बकाया रकम देने के लिए और 18 महीने का समय मांगा था। बेंच इसके लिए अधिक समय देने के मूड में नहीं हैं। बेंच ने साफ-साफ चेतावनी देते हुए अगले तीन महीने में 1500 करोड़ रूपए कि किस्त चुकाने को कहा हैं। ऐसा न करने पर सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत रॉय को फि र से जेल भेजा जा सकता हैं। रॉय को दो वर्ष तक तिहाड़ जेल मेें रखा गया था जिसके बाद उनको पैरोल पर रिहा कर दिया गया था। उनकी पैरोल की अवधि कई बार आगे बढ़ाई भी जा चुकी हैं।
कितना शानदार हैं एंबी वैली
पुणेे में स्थित एंबी वैली देश का पहला प्लान्ड लग्जरी हिल सिटी हैं। यहंा बने एक-एक विला की कीमन 30-40 करोड़ रूपए हैं। लोनावला से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एंबी वैली 10,600 एकड़ में फैला हैं। इसमें तीन मैन मेड झील हैं और कुल 11 वाटर बॉडीज हैं। इन सुविधाओं के अलावा यहां गोल्फ कोर्स, स्पेनिश कॉटेज, इंटरनेशनेल स्कूल, प्ले ग्राउंउ और फॉर्चुन फाउंटेन जैसी सुविधांए हैं।