कैसे फंड जुटाती हैं ये कंपनियां
स्टार्टअप कंपनियां अपनी फंडिग मल्टीनेशनल कंपनियों से कराती हैं। जिसके बदले वो फ्रिफरेंशियल शेयर इश्यू कर देती हैं। लेकि न मामला तब ज्यादा संदेह वाला हो जाता है जब ये स्टार्टअप्स अपनी वैल्यू को ज्यादा दिखाकर फंड के बदले फ्रिफरेंश शेयर को बढ़ा-चढ़ा कर बताती है।
30 फीसदी टैक्स का प्रावधान
इनकम टैक्स कानून के मुताबिक ऐसे किसी भी लेन-देन के पकड़े जाने पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान हैं। अगर कंपनी की वास्तविक वैल्यू 1 करोड़ की है लेकिन कंपनी ने इसे 2 करोड़ दिखाया है तो 1 करोड़ की राशि पर 30 फीसदी का टैक्स चुकाना पड़ेगा।
क्यों पकड़ में नहीं आती ये कंपनियां
देश में कई ऐसे स्टार्टअप्स और अनरजिस्टर्ड कंपनियां है जिनका न तो बैलेंस सीट, बनता है न ही वो लिस्टेड हैं। उसके उपर से इनकी फंडिंग कई स्रोतों से की जाती है। इस कारण आयकर विभाग के लिए बड़ी कंपनियों के मुकाबले इन कंपनियों के अवैध लेन-देन को पकडऩा ज्यादा मुश्किल है। नोटिस मिलने के बाद कई स्टार्टअप्स ने ट्राब्यूबनल में जाने का फैसला किया है।