scriptइनकम टैक्स के रडार पर अब स्टार्टअप कंपनियां | Now Startup companies on radar of Income tax | Patrika News

इनकम टैक्स के रडार पर अब स्टार्टअप कंपनियां

locationनई दिल्लीPublished: Sep 08, 2017 11:47:00 am

Submitted by:

manish ranjan

कालेधन पर लगाम लगाने के लिए  इनकम टैक्स विभाग की नजर देश के स्टार्टअप्स और अनरजिस्टर्ड कंपनियों पर है।

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नई दिल्ली। कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सरकार लगातार संदिग्ध लेनदेन वाली कंपनियों पर नजर बनाए हुए है। इसी कार्रवाई के तहत अब इनकम टैक्स विभाग की नजर देश के स्टार्टअप्स और अनरजिस्टर्ड कंपनियों पर है। इनकम टैक्स विभाग की जांच शाखा ने देश के 200 कंपनियों को धारा 56(2) (7) बी के अंतगर्त नोटिस भेजा गया है। इनकम टैक्स विभाग इन कंपनियों के मौजूदा और पुराने लेनदेन की जांच करेगी। विभाग को अंदेशा है कि इन कंपनियों ने अपने फ्रिफरेंशियल शेयर को मार्केट वैल्यू से ज्यादा दिखाकर फंड की उगाही की है। सेक्शन 56(2) (7) बी के तहत इस तरह से उगाहा गई रकम टैक्स के दायरे में आती है। टैक्स एक्सपर्ट के जानकारों के मुताबिक अगर कोई भी कंपनी अपनी वैल्यू को मार्केट वैल्यू से ज्यादा दिखाकर फंड की उगाही करती है तो यह निश्चित रुप से जांच का विषय है। हालांकि ये सेक्शन एनआरआई पर लागू नहीं होता है। इनकम टैक्स विभाग को शक है कि कई ऐसी कंपनियां में विदेशी फंडिंग का पैसा लगा है। इसलिए विभाग ने 200 कंपनियों को नोटिस भेजा है और उनसे जबाब मांगा है।


कैसे फंड जुटाती हैं ये कंपनियां

स्टार्टअप कंपनियां अपनी फंडिग मल्टीनेशनल कंपनियों से कराती हैं। जिसके बदले वो फ्रिफरेंशियल शेयर इश्यू कर देती हैं। लेकि न मामला तब ज्यादा संदेह वाला हो जाता है जब ये स्टार्टअप्स अपनी वैल्यू को ज्यादा दिखाकर फंड के बदले फ्रिफरेंश शेयर को बढ़ा-चढ़ा कर बताती है।


30 फीसदी टैक्स का प्रावधान

इनकम टैक्स कानून के मुताबिक ऐसे किसी भी लेन-देन के पकड़े जाने पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान हैं। अगर कंपनी की वास्तविक वैल्यू 1 करोड़ की है लेकिन कंपनी ने इसे 2 करोड़ दिखाया है तो 1 करोड़ की राशि पर 30 फीसदी का टैक्स चुकाना पड़ेगा।


क्यों पकड़ में नहीं आती ये कंपनियां

देश में कई ऐसे स्टार्टअप्स और अनरजिस्टर्ड कंपनियां है जिनका न तो बैलेंस सीट, बनता है न ही वो लिस्टेड हैं। उसके उपर से इनकी फंडिंग कई स्रोतों से की जाती है। इस कारण आयकर विभाग के लिए बड़ी कंपनियों के मुकाबले इन कंपनियों के अवैध लेन-देन को पकडऩा ज्यादा मुश्किल है। नोटिस मिलने के बाद कई स्टार्टअप्स ने ट्राब्यूबनल में जाने का फैसला किया है।

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