लंबी अवधि में दिेखेगी ग्रोथ
क्रिस्टीन लगार्डे के मुताबिक भारत की इकोनॉमी भविष्य में इन तीन कारणों से काफी तेजी से आगे बढ़ेगी। ये तीन कारण हैं महंगाई दर में गिरावट, फिस्कल डेफिसिट में कमी और रिफॉर्म का लागू होना। इनके चलते नई नौकरियां भी खूब आएंगी, जिसकी आशा देश का हर नौजवान कर रहा है।
पहले दिया सुझाव हालांकि लगार्डे से पहले भारत के आर्थिक सुस्ती को देखते हुए अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत को त्रिपक्षीय सुधारों का सुझाव दिया । आईएमएफ के इस सुझाव में कॉरपोरेट में बेहतर करना, बैंकिंग क्षेत्र में के मौजूदा कमजोर हालात से बाहर निकालना और राजस्व संबंधी कदमों के माध्यम से वित्तीय एकीकरण को जारी रखना शामिल है। इसके साथ ही श्रम एवं उत्पाद बाजार की क्षमता को शामिल करने का भी सुझाव दिया है। आईएमएफ का कहना है कि एशिया का परिदृश्य अच्छा है, ऐसे में कुछ मुश्किल सुधारों के साथ भारत के लिए आगे जाने का महत्वपूर्ण अवसर हैं। आईएमएफ ने कहा कि, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारों के मामले में तीन नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। पहली प्राथमिकता कॉरपोरेट और बैंकिंग क्षेत्र की हालत को बेहतर करना है। इसके लिए एनपीए के समाधान को बढ़ाना, पब्लिक सेक्टर के बैंको में पूंजी का पुननिर्माण और बैंको की कर्ज वसूल प्रणाली को बेहतर बनाना है।
इन क्षेत्रों में भी सुधार की आवश्यकता
भारत के लिए दूसरी प्राथमिकता राजस्व संबंधी कदमों को लेकर होना चाहिए। भारत को राजकोषिय एकीकरण की प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए। इसके साथ ही सब्सिडी की बोझ को भी अभी और कम करना चाहिए। वहीं तीसरी प्राथमिकता बुनियादी ढांचा अंतर को खत्म करने के लिए सुधार की गति को बनाए रखना है। इसके साथ ही श्रम और उत्पाद बाजार की क्षमता का भी विस्तार होना चाहिए। कृषि क्षेत्र भी भारत क ेलिए महत्वपूर्ण है और इसमे भी सुधार करना चाहिए।
भारत के लिए दूसरी प्राथमिकता राजस्व संबंधी कदमों को लेकर होना चाहिए। भारत को राजकोषिय एकीकरण की प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए। इसके साथ ही सब्सिडी की बोझ को भी अभी और कम करना चाहिए। वहीं तीसरी प्राथमिकता बुनियादी ढांचा अंतर को खत्म करने के लिए सुधार की गति को बनाए रखना है। इसके साथ ही श्रम और उत्पाद बाजार की क्षमता का भी विस्तार होना चाहिए। कृषि क्षेत्र भी भारत क ेलिए महत्वपूर्ण है और इसमे भी सुधार करना चाहिए।
आईएमएफ का कहना है कि श्रम बाजार में निवेश और रोजगार के लिए अधिक अनुकूल माहौल बनाने के लिए मार्केट रेग्यूलेशन में सुधार आवश्यक है। श्रम कानूनों की संख्या घटाना चाहिए। मौजूदा समय में केन्द्र और राज्य स्तर पर कुल 250 श्रम कानून है। भारत को इसके साथ जेंडर इक्वैलिटी को भी खत्म करना चाहिए, इससे देश की महिलाओं को रोजगार के लिए और अधिक अवसर मिल सकेगा।