नोटों की छपाई और सुरक्षा पर करना पड़ता है करोड़ों रुपए
अखिल भारतीय व्यापारी संघ (सीएआईटी) के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए हो सकता है कि सरकार आने वाले दिनों में बैंक चेक की सुविधा को बंद कर दे। गौरतलब हो कि सरकार को प्रतिवर्ष 25000 करोड़ रुपए सिर्फ नोटों की छपाई पर खर्च करना पड़ता है और इसके साथ ही नोटों की सुरक्षा पर भी सरकार को 6,000 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ता है। ऐसे में पूरी तरह से कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने से सरकार द्वारा इस खर्च को बचाया जा सकता है। हालांकि देश को 100 फीसदी कैशलेस बनने का सपना इतना आसान नहीं होगा।
ट्रांजैक्शन चार्ज के बोझ को करना होगा कम
चेकबुक की सुविधा बन्द होने से लोगों को ट्रांजैक्शन चार्ज का बोझ उठाना पड़ सकता है। फिलहाल एक चुकबुक के लिए बैंक अपने ग्राहकों से मामूली चार्ज लगाते हैं वहीं इसकी तूलना में प्रति ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर लगने वाला चार्ज बहुत अधिक है। ऐसे में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देेने के लिए सरकार को इस पर लगने वाले चार्ज को पूरी तरही से खत्म करना होगा या इसे कम करना होगा।
देश में लोगों को पास लगभग 80 करोड़ एटीएम कार्ड है, जिनमें से मात्र पांच फीसदी कार्ड ही किसी भी तरह के डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल होते हैं। वहीं बाकी के 95 फीसदी एटीएम कार्ड लोगों द्वारा सिर्फ कैश निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है।