रिजर्व बैंक ने दी जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक ने जानकारी देते हुए बताया कि जिन चैनलों के माध्यम से ऋणदाताओं ने अपने खराब ऋणों को वापस प्राप्त किया। उनमें इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC), SARFAESI अधिनियम, ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) और लोक अदालत शामिल हैं। साथ ही जहां बैंकों ने
IBC के माध्यम से 4,900 करोड़ रुपये के बैड लोन की वसूली की, वहीं वित्त वर्ष 2018 में SARFAESI के माध्यम से वसूल की गई राशि 26,500 करोड़ रुपये थी।
2018 में बढ़ा NPA इसके साथ ही साल 2013-14 में जहां निजी बैंकों का NPA 19,800 करोड़ रुपये था, वहीं मार्च 2018 में यह बढ़कर 1,09,076 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। साथ ही वित्तीय वर्ष 2018 में लोक अदालतों और डीआरटी के माध्यम से वसूली मामलों की संख्या में भी गिरावट आई है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि IBC के माध्यम से औसत रिकवरी अन्य चैनलों (SARFAESI, DRTs और लोक अदालतों) से अधिक है और धीरे-धीरे इसमें सुधार भी हो रहा है।
जल्द होगा सुधार वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान संपत्ति को बुक वैल्यू के अनुपात में एआरसी की अधिग्रहण लागत बढ़ गई है। साथ ही तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की बिक्री पर बैंकों ने कहा कि इसमें जल्द ही सुधार होगा।
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