श्री गोयल को भेजे पत्र में कैट ने कहा की अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट ने प्रासंगिक सबूत दिखाने के बाद भी कैट द्वारा उठाए गए मुद्दों का खंडन किया। अपने पोर्टल्स पर भारी छूट की पेशकश के लिए, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह ब्रांड है जो छूट दे रहे हैं और इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है। अन्य विषयों पर उन्होंने कई तर्कहीन आधारों पर अपने पोर्टलों पर हो रहे एफडीआइ पॉलिसी के उल्लंघन की कोई जिम्मेदारी नहीं ली।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भारतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि यह सबसे दिलचस्प है कि ये कंपनियां पिछले 5 वर्षों से अधिक समय से भारी घाटे में चल रही हैं और अभी भी वे प्रत्येक वर्ष कई तरह कीं सेल आयोजित करने के साथ अपने व्यापार मॉडल को जारी रख रही हैं। यह इसलिए सम्भव है क्योंकि इन कम्पनियों के संबंधित निवेशक घाटे का वित्तपोषण कर रहे हैं जो इन कम्पनियों को भारी छूट प्रदान करने में सक्षम बनाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि इनका पोर्टल व्यवसाय मॉडल नहीं है बल्कि निवेशकों का एक मूल्यांकन खेल है जो उनके लिए बेहद लाभप्रद हैं क्योंकि वे ऐसे समय में अपने निवेश से बाहर निकलते हैं जब कंपनी का मूल्यांकन बहुत अधिक हो जाता है
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल दोनों ने कहा कि देश भर के व्यापारी इन कम्पनियों कीअविश्वसनीय छूट से बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैसबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र मोबाइल, एफएमसीजी, गारमेंट्स, गिफ्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल आइटम आदि हैं।लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचने और गहन छूट के कारण अकेले मोबाइल सेक्टर में हजारों मोबाइल दुकानें वास्तव में बंद होने की कगार पर हैं और अन्य क्षेत्रों में भी यही स्थिति है।
दोनों व्व्यापारी नेताओं ने कहा कि देश भर के व्यापारियों ने श्री गोयल के उस ऐतिहासिक बयान की गहरी प्रशंसा की है कि “सरकार द्वारा किसी भी तरह की लागत से भी कम मूल्य और गहरी छूट को अनुमति नहीं दी जाएगी” और इसलिए कैट ने इस मामले में श्री गोयल के व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की है जिससे देश में एक समान स्तर का प्रतिस्पर्धी वातावरण बने । कैट ने श्री गोयल से आग्रह किया है कि चूंकि अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट दोनों ने ब्रांडों को गहरी छूट देने के लिए जिम्मेदार बताया है, इसलिए सरकार को ब्रांड्स के साथ तत्काल बैठक बुलाकर जानना चाहिए जी असली सच क्या हैइसके अलावा, वास्तविक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए दोनों कंपनियों के व्यवसाय मॉडल का सरकार द्वारा ऑडिट किया जाना चाहिए।
“भारत में 7 करोड़ व्यापारियों की कारोबारी शृंखला दुनिया की सबसे बड़ी आपूर्ति श्रृंखला है, जो कि दूर दराज के क्षेत्रों में माल की डिलीवरी प्रदान करता है और राष्ट्रीय खजाने में बेहतरीन योगदान देता है और कृषि के बाद यह देश में रोजगार प्रदान करने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसलिए, देश के व्यापारिक समुदाय के वास्तविक हितों की रक्षा करने की तत्काल आवश्यकता है। कैट ने कहा की हम प्रतिस्पर्धा से डरते नहीं हैं, लेकिन इसके लिए एक समतल स्तर पर व्यापारिक वातावरण का होना अधिक आवश्यक है