डिजिटल इकोनॉमी को बूस्ट करने में मिलेगी मदद
कई ऑपरेटर्स बहुत जल्द इस बात पर फैसला ले सकते हैं कि उन्हें हाई स्पीड वायरलेस नेटवर्क के जरिए स्ट्रीमिंग, एंटरटेनमेंट और नेटफ्लिक्स जैसे सेवाओं को मुहैया कराने के लिए कितना कर्ज का बोझ उठाना होगा। मैन्युफैक्चरिंग, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के साथ 5G भारतीय डिजिटल इकोनॉमी ( digital economy ) की तस्वीर बदल सकती है। हाल ही डेलॉयट ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि साल 2025 तक भारतीय डिजिटल इकोनॉमी 1 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। एशियाई क्षेत्र में अधिकतर ऑपरेटर्स साल 2020 तक 5G नेटवर्क्स शुरू करने का प्लान बना रहे हैं।
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सभी ऑपरेटर्स के लिए होगाी मुश्किल
टेलिकॉर्म नेटवर्क से जुड़े मुंबई स्थित एक जानकार का कहना है कि यदि कोई ऑपरेटर 5G सेवाएं ऑफर नहीं करता तो इसके बदले उन्हें अपना मार्केट शेयर गंवाने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा, “5G मार्केट में बने रहने के लिए सभी ऑपरेटर्स के लिए जरूरी है कि वो प्रतिस्पर्धात्मक समानत को बरकरार रखें। ग्राहकों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करना सबसे अधिक जरूरी है।” हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो सकता है कि कौन-कौन ऑपरेटर्स 5G की नीलामी में भाग लेंगे।
ऐसे भारत की तस्वीर बदल सकता है 5G
अर्नेस्ट एंड यंग ( Ernst & Young ) के ग्लोबल टेलिक्म्युनिकेशंस हेड प्रशांत सिंघल ने ब्लूमबर्ग को बताया कि 5G तकनीक देश के ऑगमेंटेड रिएल्टी, वर्चुअल रिएल्टी, कनेक्टेड कार, ड्रोन्स, स्पार्ट होम्स, स्मार्ट शहर, समेत देश के ग्रामीण क्षेत्रों को अभूतपूर्व रूप से बदलने की क्षमता रखता है। इस तकनीक से हेल्थ और शिक्षा के क्षेत्र में उन चुनौतियों से भी पार पाना आसान होगा, जो अब तक इन्फ्रास्ट्रक्चर तकनीक की वजह से पूरे नहीं हो पा रहे थे। उदाहरण के तौर देखें तो किसी महानगर में बैठा एक डॉक्टर किसी सूदूर ग्रामीण क्षेत्र में सर्जरी करने में छोटे डॉक्टर को इस तकनीक से मदद कर सकता है। किसी दूर गांव के एक स्कूल में टीचर अपने छात्रों को होलोग्राफिक इमेज के जरिए कॉन्सेप्ट्स समझा सकता है।
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5G में निवेश सबसे बड़ी चुनौती
हाल ही में दक्षिण कोरिया की एसके टेलिकॉम गत अप्रैल माह में ही पब्लिक के लिए 5G नेटवर्क से पर्दा उठाया था। कंपनी ने दावा किया है दुनियाभर में कॉमर्शियल रूप से ऐसा करने वाली वो पहली कंपनी बन गई है। इस माह में चीन ने अपने तीन प्रमुख ऑपरेटर्स को 5G लाइसेंस जारी कर दिया है। उम्मीद की जा रही है कि चीन में 5G सेवा इसी साल शुरू हो सकती है। भारत के दृष्टिकोण से देखें तो यहां सबसे बड़ी चुनौती निवेश की है। टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ( TRAI ) ने अनुमान लगाया है कि इसमें कम से कम 70 अरब डॉलर ( करीब 49.90 लाख करोड़ रुपये ) का निवेश जरूरी होगा। ऐसे में कई ऑपरेटर्स के लिए इतनी बड़ी रकम जुटाना आसान नहीं होगा। पहले ही इनपर कर्ज का बोझ है।
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