इसके अलावा भी रहे कुछ अन्य कारण इन सभी कारणों के साथ-साथ शेयर बाजार को और भी कई कारणों से झटके लगे। साथ ही कुछ ऐसे भी कारण थे जिनकी वजह से शेयर बाजार में काफी फायदा भी देखा गया। हम आपको साल 2018 के 10 बड़े कारणों के बारे में बताते हैं।
2018 में भारतीय शेयर बाजारों को प्रभावित करने वाले 10 सबसे बड़े कारण पीएनबी-नीरव मोदी फ्रॉड साल 2018 में देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला सामने आया। पीएऩबी ने 14 फरवरी 2018 को देश के सबसे बड़े घोटाले का खुलासा किया। इस घोटले में नीरव मोदी और उसके परिवार की 637 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर ली गई थी। पहली तिमाही तक इस घोटाले की राशि लगभग 14,000 करोड़ रुपये (लगभग 2 बिलियन डॉलर) थी। इस घोटाले में नीरव मोदी और मेहुल चौकसी शामिल थे। यह लोग पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा से फर्जी LoU प्राप्त करते थे और अभी तक इनको हिरासत में नहीं लिया गया है। इस घोटाले के बाद आंध्र बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक आदि कई अन्य ‘मिनी बैंकिंग घोटाले’ सामने आए। इस घोटाले के बाद पीएनबी के शेयरों में लगभग55 फीसदी तक की गिरावट आई।
किम जोंग उन का मिसाइल परीक्षण उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के मिसाइल परीक्षण की अनिश्चितताओं से भी भारतीय शेयर बाजारों में काफी उठा पटक रही। साथ ही जून में हुई डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन की मीटिंग का भी भारतीयों बाजारों पर काफी असर पड़ा।
ग्लोबल सेल-ऑफ फरवरी की शुरुआत में हुई वैश्विक बिकवाली ने भी भारतीय इक्विटी पर बहुत खराब असर डाला था। इस बिकवाली से बीएसई सेंसेक्स केवल तीन दिन में लगभग 1700 अंक नीचे गिर गया था। साथ ही अक्टूबर 2018 में एक बार फिर इसी तरह की बिक्री देखी गई थी, जिसमें सेंसेक्स 760 अंक गिर गया था।
कच्चे तेल की कीमतों से बाजार को लगा सबसे बड़ा झटका कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से भारतीय बाजारों को बहुत बड़ा झटका लगा है, क्योंकि भारत अपनी आवश्यकता का लगभग 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, ब्रेंट क्रूड ऑयल ने 86.29 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर को छू लिया है। कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है।
IL&FS संकट
सितंबर 2018 के अंत में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को लोन देनेवाली देश की दिग्गज कपंनी इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज लि. (IL&FS) खुद कर्ज नहीं चुका पा रही थी, जिसका सीधा असर देश के वित्तीय बाजारों पर पड़ रहा था। इस कंपनी पर लगभग 91 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। साथ ही कई प्रोजेक्ट्स अधूरे पड़े थे, जिसकी वजह से पैसा भी नहीं मिल रहा था। इस कंपनी के हालातों को देखते हुए अक्टूबर में सरकार ने IL & FS को अपने कब्जे में ले लिया। इस कंपनी के कर्ज़ के कारण भी देश की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ा।
भारतीय रुपए में भी हुए कई बदलाव साल 2018 में भारतीय रुपए की स्थिति भी एशियाई बाजार की मुद्राओं में काफी खराब रही। इस साल रुपए ने कई बार निचले स्तर पर नए रिकॉर्ड को छुआ। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में काफी गिरावट देखी गई।
एनबीएफसी संकट नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी के शेयरों में आई गिरावट से भी भारतीय बाजारों में काफी असर पड़ा। नकदी की कमी के संकट से जूझ रही एनबीएफसी का असर भारतीय बाजारों की इक्विटीज पर भी पड़ा। इस संकट से कंपनी द्वारा दिए जाने वाले होम लोन और ऑटो लोन भी प्रभावित हुए थे।
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध संयुक्त राज्य और चीन के बीच महीने भर की व्यापार लड़ाई ने भारतीय शेयर बाजारों में बिकवाली पैदा की थी। मार्च 2018 के बाद से अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे के आयात पर 25 फीसदी तक अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, जिसका सीधा असर भारतीय बाजारों पर पड़ रहा था।
एफपीआई से भी प्रभावित हुए बाजार पूंजी बाजार हमेशा निवेशकों के निवेश से संचालित होता है और भारतीय इक्विटी विदेशी फंडों द्वारा किए गए निवेश पर निर्भर करती है। साल 2018 में जनवरी से लेकर जून तक इक्विटी से विदेशी फंडों का 47,836 करोड़ रुपये निकाला गया था, जिसके कारण भी भारतीय बाजार सीधे प्रभावित हुए थे।
चुनाव परिणाम का असर विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भी सूचकांकों को आगे बढ़ाया क्योंकि बाजार का राजनीती से सीधा संबंध होता है। 2018 में छह राज्यों में हुए चुनाव के परिणाम का सीधा असर बाजारों में देखा गया।
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