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विश्व निमोनिया दिवस : सर्दी में नवजात का रखें ध्यान, ऐसे निमोनिया से करें बचाव

locationललितपुरPublished: Nov 12, 2018 10:39:55 am

सर्दियों का मौसम शुरू होने के साथ-साथ बीमारियों का आना भी शुरू हो जाता हैं।

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विश्व निमोनिया दिवस : सर्दी में नवजात का रखें ध्यान, ऐसे निमोनिया से करें बचाव

ललितपुर. सर्दियों का मौसम शुरू होने के साथ-साथ बीमारियों का आना भी शुरू हो जाता हैं। इस मौसम में नवजात को भी कई तरह की परेशानियाँ होने लगती हैं, जिनमें से एक गंभीर बीमारी निमोनिया हैं जो हर उम्र के व्यक्तियों को हो सकती है, लेकिन यह सबसे अधिक पाँच साल तक के बच्चों में पायी जाती हैं। ठीक प्रकार से देखभाल न करने से निमोनिया बच्चों की मृत्यु का कारण भी बन जाता हैं।


इसी को ध्यान में रखते हुये निमोनिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 12 नंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता हैं, ताकि इस बीमारी से बच्चों की होने वाली मृत्यु से बचाया जा सकें।


विश्व में निमोनिया पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट वर्ष 2015 के अनुसार भारत में 9,26,130 बच्चों की मृत्यु सिर्फ निमोनिया की वजह से हुई हैं जो कि पाँच साल से कम उम्र के बच्चों कि मृत्यु का 16 प्रतिशत हैं।


क्या है निमोनिया- निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगस आदि के कारण होता हैं। इसकी सबसे अहम पहचान है, फेफड़ों की वायु कोष्ठिका में सूजन हो जाती है अथवा उसमें तरल पदार्थ भर जाता हैं। कई बार निमोनिया गंभीर रूप धारण कर लेता हैं। इसी परिस्थिति में व्यक्ति की हालत बहुत खराब हो जाती हैं और जान भी जा सकती हैं।


लक्षण

निमोनिया के लक्षण, सर्दी जुखाम के लक्षणों से बहुत हद तक मिलते हैं। इसलिए जब भी ऐसा लगे तो पहले इसके लक्षणों को पहचान लेना बहुत जरूरी हैं। नवजात शिशुओं के कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन यदि नवजात शिशु देखने में बीमार लगें वह दूध न पिये, रोये या बुखार हो तो उन्हें निमोनिया हो सकता हैं। इसके लिए तुरंत डॉक्टर से इलाज करवाना अत्यंत आवश्यक हैं। निमोनिया के प्रमुख लक्षण निम्न प्रकार हैं।
• सांस तेज लेना, कफ की आवाज आना आदि भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं।
• निमोनिया के आम लक्षणों में खांसी, सिने में दर्द, बुखार और सांस लेने में मुश्किल आदि होते हैं।
• उल्टी होना, पेट या सिने के निचले हिस्से में दर्द होना।
• कपकपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी निमोनिया के लक्षण हैं।
• पाँच साल से कम उम्र के ज़्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है वह सुस्त हो जाता हैं।
• छोटे बच्चों में निमोनिया की शुरुआत हल्के सर्दी- जुखाम से होती है, जो धीरे-धीरे निमोनिया में बदल जाती हैं। ऐसे में बच्चों को बाद में सांस लेने में तकलीफ होने लगती हैं।


क्यों होता है निमोनिया

निमोनिया होने के प्रमुख कारण बैक्टीरिया और वायरस होते हैं। यह रोग उस समय होता है जब निमोनिया से ग्रसित किसी व्यक्ति की सांस के साथ निमोनिया के कीटाणु साँसों के द्वारा दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और जब उस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से निमोनिया के कीटाणुओं से लड़ नहीं पाती। तब यह कीटाणु फेफड़े की वायु कोशिका में जमा होकर अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं। जब शरीर इस संक्रमण से लड़ने के लिए श्वेत रक्त कोशिकाओं को भेजता हैं तो वायु कोशिकाएं तरल पढ़ार्थों और पस से भर जाती है, जिसके कारण निमोनिया होता हैं।


निमोनिया से बचाव

मासूम बच्चों को निमोनिया न हो इसके लिए संक्रमित व्यक्तियों से दूर रखना चाहिए। इसके अलावा छिंक या खांसी आए तो मुंह पर कपड़ा रख लेना चाहिए, कुछ भी खाने- पीने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए और बच्चे को माँ का पहला गाढ़ा दूध जिसे कोलेस्टरम कहते है उसको अवश्य पिलाना चाहिए ताकि बच्चे को निमोनिया होने से बचाया जा सकें।


डॉक्टर राज नारायण, बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि जब कोई संक्रमित व्यक्ति खाँसते व छीकते है तो इसका वायरस व बैक्टीरिया सांस के द्वारा फेफड़ों तक पहुँच कर व्यक्ति को संक्रमित कर देता हैं। इसके अलावा उन्होने बताया कि निमोनिया का अटैक बच्चों पर ज्यादा होता है खासतौर पर पाँच साल से कम उम्र के ज़्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती हैं। दूध पीने में भी दिक्कत होती है और वह सुस्त हो जाता हैं।


उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए छोटे बच्चों को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए, क्योंकि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और वह जल्द ही इस बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। इसके अलावा उन्होने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर सर्दी, जुकाम ठीक नहीं हो रहा है तो बिना समय गंवाए डॉक्टर को दिखाना चाहिए नहीं तो गंभीर स्थिति हो जाने पर निमोनिया से मृत्यु भी हो सकती हैं।

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