योगदान की गिनती नहीं की जाती- प्रदेश के अलग-अलग ग्राम पंचायतों की भौगौलिक स्थिति भिन्न-भिन्न है, जिसके कारण ग्राम पंचायत में कार्य का स्कोप बहुत अधिक है तथा किसी ग्राम पंचायत में स्कोप बहुत कम है, जिससे मानदेय समय से भुगतान नहीं हो पाता है। उन्होंने रोजगार सेवकों के मानदेय भुगतान के लिए पृथक से बजट की आवश्यकता पर बल दिया। रोजगार सेवक ग्राम पंचायत स्तर पर सरकार की अनेक योजनाओं को संचालित करने में अपना योगदान देते हैं, परन्तु जॉब चार्ट में सिर्फ मनरेगा का कार्य ही होने के कारण उनके योगदान की गिनती नहीं की जाती है।
इन लोगों ने दिया ज्ञापन- उन्होंने बताया कि 12 वर्षों से सरकारी कार्यों में अपना योगदान दे रहे रोजगार सेवकों के लिए वर्तमान में प्रदेश भर में 60 हजार ग्राम पंचायतें सृजित हैं। इन ग्राम पंचायतों में सीधी भर्ती से ग्राम विकास अधिकारियों, ग्राम पंचायत अधिकारियों की कुल संख्या लगभग 12 हजार है, यानि एक सचिव के पास औसतन पांच ग्राम पंचायतें हैं। जिसके कारण हम ग्राम पंचायतों के विकास व ग्रामीणों की समस्याओं के निराकरण में असुविधा होती है। रोजगार सेवकों ने आठ सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपते हुये जल्द समस्या निराकरण की मांग उठायी। ज्ञापन देते समय जिलाध्यक्ष संग्राम सिंह बुन्देला, आशीष दीक्षित, रामरतन यादव, कन्हैयालाल, अजित कुमार, अखिलेन्द्र नायक, सुनील कुमार, रणवीर सिंह, जयहिन्द सिंह, हरनारायण, गनपतलाल, लखनलाल सहित अनेकों रोजगार सेवक मौजूद रहे।