नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) के अनुसार 6-23 माह के स्तनपान करने वाले बच्चों को मिलने वाले पूरक आहार की प्रतिशतता में ललितपुर 11.8 आगे है। वहीं सर्वे में झांसी 10.9 प्रतिशतता के साथ दूसरे स्थान पर है। देखा जाए, तो झांसी मण्डल के दो जिले प्रदेश की प्रतिशतता 5.3 प्रतिशत के सापेक्ष काफी बेहतर स्थिति में है। वहीं इस सर्वे में मण्डल के तीसरे जिले जालौन की स्थिति बेहद खराब है। जालौन में 6-23 माह के स्तनपान करने वाले बच्चों को मिलने वाले पूरक आहार की स्थिति न के बराबर है।
प्रदेश के दस जिलों की स्थिति ललितपुर 11.8 प्रतिशत महामायानगर 11.6 झांसी 10.9 मुजफ्फरनगर 10.8 मऊ 10.7 बलिया 9.9 मुरादाबाद 9.8 संत रविदास नगर 9.4 श्रावस्ती 8.9
शाहजहांपुर 8.5 वहीं प्रदेश के 10 सबसे गंभीरजनक स्थिति में जालौन, कौशांबी, हरदोई, सिद्धार्थ नगर, सीतापुर, औरैया, देवरिया, कानपुर नगर, फ़िरोज़ाबाद और बस्ती है। बच्चे को पोषण की आवश्यकता छः माह के बच्चे की शारीरिक जरुरतें बढ़ जाती हैं। बच्चे की शारीरिक हलचल धीरे-धीरे बढ़ने लगती है, जिसके लिए ज्यादा ताकत की आवश्यकता होती है। इसलिए मां के दूध के साथ ऊपरी आहार की जरूरत होती है। डॉ राजनारायण, वरिष्ठ परामर्शदाता जिला महिला अस्पताल का कहना कि 6 माह के बाद जब बच्चे का शरीर बढ़ता है, तो उसको उतने पोषण की भी आवश्यकता होती है। 6 माह के बच्चों को अर्धठोस पदार्थ देने के लिए डॉक्टर सलाह देते थे। जब बच्चा 1 साल का हो जाता है, तो बच्चों के शरीर की आवश्यकतानुसार खाना देना चाहिए।
6 माह के बाद अर्द्धठोस आहार बच्चे को नहीं दिया जाता है, तो बच्चा कमजोर हो जाता है जिससे उसकी प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है और उससे कई बीमारियां होने लगती है। उन्होंने बताया कि 6 माह बाद बच्चों को स्तनपान के अलावा दलिया, दाल का पानी, अर्द्धठोस आहार खिलाएं।