दलित अलग न रहें वह भी समाज की विरातत्व में शामिल हो। इस सिद्धांत के अंतर्गत जब सपा उभरकर पटल पर आ रही थी, तब बीजेपी ने लगभग तीन बार मायावती को मुख्यमंत्री बनाया। अगर मायावती मुख्यमंत्री बनीं तो इस की जड़ में कहीं न कहीं बीजेपी है।
मुझे वह बात याद आ रही है कि जब लालजी टंडन की कलाई में मायावती की राखी और मायावती की मुंह में लाल जी टंडन की मिठाई थी। तब यह गाना गाया जा रहा था कि ‘फूलों का तारों का सबका कहना है एक हजारों में मेरी बहना है, सारी उमर हमें संग रहना है।’ इन सब के बावजूद भी जब वह गुजरात चुनाव प्रचार में गईं तो उन्होंने मंच से आह्वान किया कि मुस्लिम कट्टर होता है, इसके बावजूद मैं नरेंद्र मोदी का प्रचार करने यहां आई हूं। मेरे साथ भी कई मुस्लिम पार्टियां हैं। इन सब के बावजूद जब मायावती ने सपा से गठबंधन बनाया तो अब यह गाना गाया जा रहा है कि ‘सपना ही समझो भुला दो कि हम तुम कभी मिले थे, और मिलकर कभी संग संग चले थे।’ उन्होंने कहा कि दो विरोधी पार्टियों के गठबंधन की उम्र कभी लंबी नहीं होती।