आंगनवाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत महिलाओं को प्राथमिकता पत्र के मुताबिक समिति में केवल महिलाओं को ही नामित किया जाएगा। इसमें उन महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी जिनके बच्चे आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत हैं। बच्चों की दादी या नानी को भी नामित किया जा सकता है। एक महिला सदस्य ऐसी अवश्य नामित की जाएगी जो की ग्राम सभा की सदस्य हो। सामाजिक कार्यों के प्रति सजग और सक्रिय सदस्यों को ही समिति में रखा जाये। ग्राम के सभी वर्गों और समूहों का प्रतिनिधित्व भी रखा जाये। समिति के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन हर साल गांव में ग्राम प्रधान की मौजूदगी में राजस्व अधिकारियों के सहयोग से मुख्य सेविका द्वारा किया जाएगा।
मातृ समिति के सदस्यों का प्रमुख दायित्व होगा की आंगनवाड़ी केंद्र नियमित रूप से खुले और नियमित रूप से पोषाहार का वितरण हो। इसके अलावा पोषाहार के स्टाक की चेकिंग और सत्यापन का काम भी समितियां कर सकेंगी। सुपोषण स्वास्थ्य मेलों के सफल आयोजन, लाभार्थियों का मेलों में मोबिलाइजेशन और इसके जरिये दी जा रहीं सेवाओं के प्रति समुदाय में जागरूकता का काम भी समितियां करेंगी। सामुदायिक गतिविधियों जैसे-बचपन दिवस, लाड़ली दिवस, ममता दिवस, अन्नप्राशन दिवस, गोदभराई दिवस, किशोर दिवस और सुपोषण दिवस के आयोजनों में भी समितियों का सहयोग लिया जाएगा।
हर तीसरे महीने में बैठक आयोजन आंगनबाड़ी केन्द्रों पर चलाये जा रहे अन्य कार्यक्रम जैसे-टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, प्री-स्कूल कार्यक्रम, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा, पोषण अभियान आदि के बारे में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान समितियां देंगी। इसके अलावा सप्ताह के हर सोमवार को मातृ समिति के सदस्य एक साथ उपस्थित होकर आपस में आंगनबाड़ी केन्द्रों की गतिविधियों से संबन्धित विचार-विमर्श करेंगे ताकि यह समितियां अधिक सक्रिय रूप से अपना योगदान दे सकें। मुख्य सेविका द्वारा हर तीसरे माह में मातृ समिति की बैठक आंगनबाड़ी केंद्र पर अवश्य की जाएगी। बता दें कि प्रदेश में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर छह माह से छह वर्ष की आयु के बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं और 11 से 14 वर्ष आयु की किशोरियों को अनुपूरक पुष्टाहार सहित छह प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसमें अनुपूरक पुष्टाहार, स्वास्थ्य प्रतिरक्षण (टीकाकरण), स्वास्थ्य जांच, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा, स्कूल पूर्व शिक्षा और निर्देशन व संदर्भन की सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।