फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी जानकारों के मुताबिक फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह जान तो नहीं लेती लेकिन जिंदा आदमी को मृत के समान बना देती है। हाथीपांव नाम से प्रचलित यह बीमारी देश के 21 राज्यों में अपना विकराल रूप ले चुकी है। लिंफेटिक फाइलेरियासिस को आम बोलचाल में फाइलेरिया कहते हैं। यह रोग मच्छर काटने से ही फैलता है। यह एक दर्दनाक रोग है। इसके कारण शरीर के अंग जैसे पैरों में और अंडकोष की थैली में सूजन आ जाती है। हालांकि समय से दवा लेकर इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। लिंफेटिक फाइलेरियासिस को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एमडीए कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
फाइलेरिया के लक्षण सामान्यत तो इसके कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं। बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। पैरों और हाथों में सूजन, हाथीपांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों का सूजन) के रूप में भी यह समस्या सामने आती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया पूरी दुनिया में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। साल 2016 तक देश में प्रभावित जिलों में 6 करोड़ 30 लाख लोगों का उपचार किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर इस बीमारी से प्रभावित 256 जनपदों में से 100 जिलों में यह बीमारी तेजी से कम हुई है।
यूपी की स्थिति प्रदेश के 51 जिलों में फाइलेरिया रोग व्यापक रूप से फैला हुआ है। जिनमें से केवल रामपुर में एमडीए राउंड के माध्यम से संक्रमण का स्तर कम किया गया है। साल 2017 के दौरान यूपी में लिंफोडिमा के 97,898 और हाइडड्रोसील के 25,895 मामले पूरे राज्य में सामने आए हैं।
लक्षण पता चलते ही करें इलाज फाइलेरिया और कालाजार के संयुक्त निदेशक डॉक्टर विन्दु प्रकाश सिंह ने अपील की है कि फाइलेरिया के लक्षण पता चलते ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर अपना इलाज करवाएं। वहीं संचारी और वेक्टर बोर्न डिजीज के चिकित्सा विभाग की डॉक्टर मिथिलेश चतुर्वेदी ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता की निगरानी में ही दवा लें और दूसरे लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।