ऐसे बनता है समूह
आंगनबाड़ी केन्द्र पर पोषाहार उपलब्ध करवाने के लिए दस महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाया जाता है। हालांकि समूह एक वर्ष पुराना होना चाहिए। समूह के पास फूड लाइसेंस भी होना आवश्यक है। साथ ही आर्थिक रूप से सशक्त होना भी जरूरी है। समूह की सभी महिलाओं की सहमति से पोषाहार सामग्री की खरीद की जाती है। फिर उसे पैकेट के रूप में आंगनाबाड़ी केन्द्रों पर वितरित किया जाता है।
आंगनबाड़ी केन्द्र पर पोषाहार उपलब्ध करवाने के लिए दस महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाया जाता है। हालांकि समूह एक वर्ष पुराना होना चाहिए। समूह के पास फूड लाइसेंस भी होना आवश्यक है। साथ ही आर्थिक रूप से सशक्त होना भी जरूरी है। समूह की सभी महिलाओं की सहमति से पोषाहार सामग्री की खरीद की जाती है। फिर उसे पैकेट के रूप में आंगनाबाड़ी केन्द्रों पर वितरित किया जाता है।
इनका कहना है
कुचामन परियोजना क्षेत्र में ६७ स्वयं सहायता समूहों की ओर से पोषाहार उपलब्ध करवाने का कार्य किया जा रहा है। जहां स्वयं सहायता समूह का गठन नहीं हुआ है, वहां दूसरे केन्द्रों के स्वयं सहायता समूहों से पोषाहार की आपूर्ति की जा रही है।
– शक्ति सिंह, सीडीपीओ, महिला एवं बाल विकास विभाग, कुचामनसिटी
कुचामन परियोजना क्षेत्र में ६७ स्वयं सहायता समूहों की ओर से पोषाहार उपलब्ध करवाने का कार्य किया जा रहा है। जहां स्वयं सहायता समूह का गठन नहीं हुआ है, वहां दूसरे केन्द्रों के स्वयं सहायता समूहों से पोषाहार की आपूर्ति की जा रही है।
– शक्ति सिंह, सीडीपीओ, महिला एवं बाल विकास विभाग, कुचामनसिटी