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…और यहां जलती भट्टी के ऊपर टिकी है मासूमों की जान

locationकुचामन शहरPublished: May 26, 2019 03:21:42 pm

Submitted by:

Hemant Joshi

हेमन्त जोशी. कुचामनसिटी. शिक्षा के मंदिर कहे जाने के वाले स्कूल और कई शिक्षण संस्थान आग की भट्टी में तप रहे हैं। जिस दिन कड़ाही में तेज भभका या सिलेण्डर में आग लगी तो भट्टी के ऊपर चल रहे स्कूल के सैंकड़ों विद्यार्थियों की जान पर बन आएगी।

Here also the fire of life threatens the lives of children

Here also the fire of life threatens the lives of children

जी हां, शिक्षा नगरी कहे जाने वाले कुचामन शहर की यह भी एक अनदेखी तस्वीर है। जिससे सरकार और शिक्षा विभाग आंख मूंद कर देख रहे हैं।
बीते दिन सूरत में हुई दु:खांतिका का दर्द पूरे देश को हैं। यह दर्द हमें सुधार की ओर आगे बढने की सीख दे रहा है। शिक्षण संस्थाओं में फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं लगाना कभी मासूमों की जान पर भारी पड़ सकता है। कुचामन शहरी क्षेत्र में शिक्षा और विकास की दौड़ में मासूमों की जान का जोखिम उठाया जा रहा है। शहर के शिक्षण संस्थानों में मासूमों की सुरक्षा को लेकर जब पत्रिका ने जानकारी जुटाई तो आंखें फटी की फटी रह गई। नीचे हाई गैस रिसाव की भट्टियों पर कचौड़ी की कड़ाही चढ रही है और छत पर सैंकड़ों मासूम बच्चे पढ रहे हैं। यदि कड़ाही में आग लगे या सिलेण्डर भभकने की घटना तो यहां सैंकड़ों बच्चों की जान पर बन सकती है। जिसकी दुर्घटना का विचार भी रुंह कंपा देने वाला है। लेकिन इन पर निगरानी रखने वाले प्रशासनिक अधिकारी बेसुध बैठे है। जबकि कुचामन में पचास हजार से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंच रहे हैं और ऐसे शहर में मासूमों की सुरक्षा व्यवस्था पर लापरवाही नुकसानदायी साबित हो सकती है।
केस 1

शहर के मुख्य बस स्टेण्ड के पास लॉयन्स सर्किल के सामने कचौड़ी-दहीबड़े की दुकान। जहां पूरे दिन भट्टी पर कचौड़ी की कड़ाही रहती है, जिसके पास एक और मिठाई व कचौड़ी-समोसे की दुकान। इन दुकानों के ऊपर चल रही है मासूम बच्चों की स्कूल। स्कूल को मान्यता मिले भी बरस हो गए और हरसाल यह स्कूल सुरक्षा प्रमाण पत्र भी ले रहा है। स्कूल में बच्चों की संख्या में सैंकड़ों में है। क्या निर्माण विभाग के अधिकारी और शिक्षा विभाग की नजर कभी इन भट्टियों और यहां उपयोग में आ रहे सिलेण्डरों पर नहीं जाती? इसके बावजूद खुलेआम यहां प्रथम तल और द्वितीय तल और तृतीय तल पर भट्टियों के ऊपर स्कूल संचालित की जा रही है। जहां आगजनी की स्थिति होने पर दूसरी मंजिल, तीसरी मंजिल पर दमकल से आग बुझाना भी दुश्वार है।
केस 2

शहर में स्टेशन रोड पर पैट्रोल के पास ही एक मिठाई की दुकान के ऊपर बहुमंजिला ईमारत में कई शिक्षण इंस्टीट्यूट और कोचिंग और हॉस्टल संचालित हो रहे हैं। खास बात यह है कि यहां घरेलू सिलेण्डर भी एक से अधिक रखे गए हैं, जहां कभी भी सिलेण्डर में आग लगने या भट्टी में आग भभकने पर बड़ा हादसा हो सकता है। खास बात यह भी है कि यहां महज 10 मीटर दूरी पर ही पैट्रोल पम्प भी संचालित हो रहा है। सभी मंजिलों पर चल रही यह संस्थान बच्चों की जान को जोखिम में डाल रहे हैं, इसके बावजूद प्रशासनिक अमला बेखबर बना हुआ है।
केस 3

शहर में डीडवाना रोड पर एसबीआई बैंक के सामने बेसमेंट व ग्राउण्ड फ्लोर पर पर फर्नीचर की दुकान है जहां सैंकड़ों क्विंटल लकड़ी की सामग्री पड़ी है और इसके ऊपर दूसरी मंजिल व तीसरी मंजिल पर कोचिंग क्लास संचालित हो रही है। ऐसे में कभी लकड़ी की दुकान में आग लगने की स्थिति में बड़ा हादसा हो सकता है और ईमारत में पढने वाले बच्चों की जान का संकट खड़ा हो सकता है।
पत्रिका व्यू

सूरत के सरथाणा क्षेत्र में तक्षशिला बहुमंजिला इमारत में आग लगने से 19 बच्चों की मौत हो गई थी। कई बच्चे अपनी जान बचाने के लिए इमारते से नीचे कूदे तो गिरने से मौत हो गई और जो बच्चे इमारत में शेष रह गए वह जलकर मर गए। यह घटना दिल दहलाने वाली है। लेकिन क्या इस घटना से सबक नहीं सीखना चाहिए, यदि हां तो फिर कुचामन शिक्षा नगरी के रुप में फैल रहा है और यहां सैंकड़ों शिक्षण संस्थाओं में हजारों विद्यार्थी पढ रहे हैं। प्रदेश सहित दूसरे राज्यों के कई बच्चे यहां पढने तो आ रहे हैं लेकिन उनकी सुरक्षा का जिम्मा कोई नहीं उठा रहा। कहीं नीचे भट्टी और ऊपर स्कूल चल रहा है तो कहीं नीचे लकड़ी काटी जा रही और ऊपर कोचिंग चल रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा के इंतजाम नहीं है। अधिकांश कोचिंग और शिक्षण संस्थानों में तो अग्निशमन यंत्र तक नहीं है। स्थानीय प्रशासन को कोचिंग व स्कूलों के सुरक्षा मापदण्डों की जांच करनी चाहिए और ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। जिससे पढ लिखकर देश का भविष्य बनने की चाहत रखने वाले मासूम बच्चों की सुरक्षा पर सवालिया निशान नहीं लगे।
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