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तो इसलिए कांग्रेस ने मानवेंद्र सिंह पर लगाया दांव…1 महीने पहले ही तय हो गई थी दावेदारी

locationकोटाPublished: Nov 17, 2018 07:40:08 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

हाड़ौती दौरे के पूरे समय मानवेंद्र सिंह उनके साथ मौजूद थे साथ ही उन्होंने झालावाड़ रैली में लोगों को संबोधित किया था।

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तो इसलिए कांग्रेस ने मानवेंद्र सिंह पर लगाया दांव…1 महीने पहले ही तय हो गई थी दावेदारी

कोटा/झालावाड़. कांग्रेस ने झालरापाटन सीट से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ मानवेंद्र सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस की रणनीति राजे को उन्हीं के गढ़ तक सीमित रखने की है। झालावाड़ में तकरीबन 35000 से ज्यादा राजपूत मतदाता है, यह भी एक कारण है कि कांग्रेस ने मानवेंद्र सिंह पर दांव खेला है। हालांकि यह माना जा रहा है कि मानवेंद्र को इस सीट पर लड़ाने की पटकथा एक महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी। गौरतलब है कि मानवेंद्र के कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनकी दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी। सूत्रों के मुताबिक तभी यह तय हो गया था कि उन्हें राजे के खिलाफ उम्मीदवार बनाया जा सकता है, राहुल के हाड़ौती दौरे के पूरे समय मानवेंद्र सिंह उनके साथ मौजूद थे साथ ही उन्होंने झालावाड़ रैली में लोगों को संबोधित किया था।
तब अटल की वजह से 1 साल में ही चली गई थी कुर्सी, अब इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में है यह नेता


यहां….विरोध के बाद पार्टी ने बदला फैसला, गुड्डू की जगह पत्नी गुलनाज को मिला टिकट
कोटा. लाडपुरा विधानसभा से कांग्रेस के सभी दावेदारों को दौड़ में पीछे छोड़ते हुए नईमुद्दीन गुड्डू पत्नी गुलनाज को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए। लगातार दो बार चुनाव हारने के कारण गुड्डू का नाम दावेदारों की सूची से काट दिया गया। इसकी भनक लगते ही उनके समर्थकों ने हंगामा कर दिया और पार्टी छोडऩे की चेतावनी दी। बगावती तेवर देखकर पार्टी के शीर्ष नेताओं ने गुड्डू को दिल्ली बुलाया। पहले उन्हें यह समझाने का प्रयास किया कि उन्हें दो बार मौका मिल चुका है, इस बार नए कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाना चाहिए। जब बात नहीं बनी तो मामला राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी तक गया और फिर उनकी पत्नी को टिकट देने की सहमति बन गई। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेशाध्यक्ष ने एक कमेटी बनाई थी, जिसने चुङ्क्षनदा सीटों से अल्पसंख्यकों को टिकट देने का अनुरोध किया था। इसमें लाडपुरा सीट का नाम भी शामिल था। जब दिल्ली से नईमुद्दीन गुड्डू को इस बार अन्य प्रत्याशी का सहयोग करने की बात कही गई, उसके बाद से विरोध का घटनाक्रम शुरू हुआ। इसके बाद नईमुद्दीन गुड्डू रात में ही दिल्ली चले गए। इसके बाद दुबारा मंथन हुआ और गुलनाज का नाम तय हुआ।
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