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पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले से पूरा देश आक्रोशित हो उठा है। शहीद के परिजनों से लेकर राजस्थान के सबसे बड़े तकनीकी विश्वविद्यालय आरटीयू के सैकड़ों छात्रों तक ने सरकार से पाकिस्तान का नामोनिशान मिटाने की मांग की है। विवि के सैकड़ों छात्र सुबह ही अपनी क्लासें छोड़ बाहर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए जमा हो गए। छात्र इतने आक्रोशित थे कि उन्होंने पाकिस्तान की कायराना हरकत का विरोध करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में मार्च निकालना शुरू कर दिया।
होश में आओ सरकार आरटीयू छात्रसंघ के महासचिव मुकुलप्रिय ने विरोध मार्च को संबोधित करते हुए कहा कि 70 साल से पाकिस्तान परस्त लोगों को जम्मू काश्मीर में टिके रहने देने वाली सरकारों को अब होश में आना चाहिए। हिंदुस्तान के बेटे सिर्फ खून बहाने के लिए पैदा नहीं हुए। बलिदान देना ही है तो फिर क्यों ने एक ही बार में दे दिया जाए। उन्होंने सरकार से मांग की कि आरटीयू के छात्रों को सरहद पर जाने की इजाजत दे, ताकि वो पुलवामा ही नहीं अब तक शहीद हुए भारतीयों की शहादत का बदला ले सकें।
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फिर से बदलो दुनिया का नक्शा कैंपस में विरोध मार्च निकाल रहे छात्र इस कदर आक्रोशित थे कि उन्होंने सरकार से दुनिया का नक्शा फिर से बदलने की मांग तक कर डाली। छात्रों ने कहा कि आतंकियों को पनाह देने वाले पाकिस्तान के नापाक मंसूबे तब तक नहीं कुचले जा सकते जब इस मुल्क को दुनिया के नक्शे से नहीं मिटा दिया जाता।
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छात्रों ने इजराइल की तरह अपने मुल्क की रक्षा करने और शहादत का बदला लेने की मांग की। कई घंटों तक कैंपस में मार्च निकालने के बाद छात्रों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी और पुलवामा शहीद हुए सीआरपीएफ के सभी शहीदों के परिजनों को सांत्वना संदेश भेजा। विरोध मार्च में चीफ प्रॉक्टर डॉ. प्रवीन अग्रवाल, एनसीसी अंडर ऑफिसर अनिल घोसलिया, रमेश सोमरा, साहिल तोमर, धीरज कुमार और हर्षित शर्मा आदि के साथ एक हजार से ज्यादा शिक्षक एवं छात्र शामिल हुए।