रोडवेज में जिस रफ्तार से बसें कण्डम हो रही हैं,सकी आधी भी नई बसें नहीं आ रही। धर, रोडवेज की खटारा बसों में सफ र करने से अब यात्री बचने लगे हैं और प्राइवेट सर्विसेज पर भरोसा करने लगे हैं। यही कारण है कि प्रमुख रूटों पर प्राइवेट बसों में यात्री भार बढ़ रहा है, वहीं रोडवेज में घटता जा रहा है।
सेन्ट्रल वर्कशॉप फुल
कर्मचारियों ने बताया कि प्रदेश भर में सभी डिपो में लगातार बसें कंडम हो रही हैं। ऐसे में अजमेर स्थित रोडवेज के सेन्ट्रल वर्कशॉप में तो अब कंडम बसों को खड़ी करने तक की जगह नहीं बची है। अब बसों को संबंधित रोडवेज डिपो के वर्कशॉप में ही खड़ा करने लग गए हैं।
एक साल, 472 बसें
रोडवेज में नियमानुसार आठ वर्ष या फिर 8 लाख किलोमीटर होने के बाद बस को कंडम घोषित कर दिया जाता है। सभी डिपो में इस तरह की बसें होने के कारण :ष्शश्च4ह्म्द्बद्दद्धह्ल:न्हें कंडम घोषित कर दिया गया है। एक अप्रेल 2017 से अब तक प्रदेशभर में 472 बसें कंडम हो चुकी हैं।
निजी बसों के भरोसे
सरकार द्वारा रोडवेज की बैंक गारंटी खत्म कर देने के कारण बेड़े में नई बसों की खरीद नहीं हो पा रही है। ऐसे में रोडवेज संचालन करने के लिए अनुबंध पर बसों को लगाया गया, लेकिन अब धीरे-धीरे अनुबंध बसों की तादाद बढऩे के कारण रोडवज इनके भरोसे ही चल रही है।