इसके बाद ही इस मद के बजट का उपयोग हो सकेगा। राज्य और देश में स्मार्ट सिटी में शामिल शहर मूल परियोजना के अलावा अपने हिसाब से बदलाव कर रहे हैं। इस बात की शिकायत पिछले दिनों केन्द्र सरकार तक पहुंच गई है।
इसके बाद केन्द्र ने सभी राज्यों को परिपत्र भेजकर स्वीकृत कार्य योजना के अनुरूप ही कार्य करने की हिदायत दी। साथ ही स्मार्ट सिटी मद के बजट का अन्य कार्यों में उपयोग पर भी मनाही कर दी।
दशहरा मैदान के कार्य में 46 बदलाव : स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दशहरा मैदान को प्रगति मैदान के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना कुल 146 करोड़ की है। प्रथम चरण में अब तक 46से अधिक बदलाव किए जा चुके हैं।
स्मार्ट सिटी में गोशाला बनाने का प्रावधान नहीं था। स्मार्ट सिटी कम्पनी के तत्कालीन चेयरमैन ने आपत्ति भी जताई थी। इसके बावजूद इसे प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया गया। दूसरे और तीसरे चरण के काम पर भी विवाद बना हुआ है। दशहरा मैदान में सेन्ट्रल पार्क बनाने का जनप्रतिनिधि विरोध कर रहे हैं। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच चुका है।
ये कार्य अब भी फाइलों में ही
कोटड़ी तालाब: आधुनिक रूप से विकसित करना था, लेकिन डेढ़ साल बाद भी कुछ नहीं हुआ है।
स्मार्ट रोड: पांच मुख्य मार्गों को स्मार्ट रोड बनने थे, काम तक शुरू नहीं हुआ।
एरिया बेस्ड डवलपमेंट: प्लानिंग भी कागजों में ही।
स्मार्ट कार पार्र्किंग: जगह की ही जदोजहद चल रही है।
अधिकारी बदले तो धीमी हो गईह्य चाल
कोटा का स्मार्ट सिटी में चयन हुए डेढ़ साल से अधिक समय हो गया, लेकिन ज्यादातर प्रोजेक्ट अभी तक फाइलों में ही हैं। धीमी गति का कारण स्मार्ट सिटी कम्पनी के चेयरमैन, वाइस चेयरमैन व अन्य अधिकारियों का बदलना भी है। नए अधिकारियों ने आते ही प्रोजेक्ट की समीक्षा शुरू कर दी।