& महापौर को भवन निर्माण समिति से इतना मोह क्यों है। उन्हें समिति का अध्यक्ष बनना ही नहीं चाहिए था। मुझे तो लगता है कि महापौर जो समूह बना रखा है, उसी में विद्रोह हो गया है। इसलिए अब उनके समर्थक ही उनका विरोध करने पर उतरे हुए है। बोर्ड की मिटिंग में यह मुद्दा उठााया जाएगा और महापौर से इसका जवाब लेंगे।
अतुल कौशल, पार्षद
बिना उच्चाधिकारियों की मिलीभगत के यह नहीं हो सकता। महापौर को जनता की इतनी ही चिंता थी तो चार साल में उन्होंने ऐसे फैसले क्यों नहीं लिए। अभी निर्माण स्वीकृति की चिंता क्यों हुई। यह बैठक रद्द होनी चाहिए।
ओम कृष्ण गुंजल, पार्षद
महापौर नगर निगम को स्कूल की तरह चलाना चाह रहे हैं। स्कूल में स्टाफ को कह दिया जाता है, आज शाम को मिटिंग है। ऐसे ही महापौर बिना एजेण्डे व सूचना सदस्यों को दिए बिना आनन फानन में बैठक बुलाकर अपनी मनमर्जी से काम करना चाह रहे हैं। उन्होंने बताया कि बोर्ड की मिटिंग आने वाली है, लेकिन इसका एजेण्डा भी अभी तक नहीं भिजवाया।
दिलीप पाठक, पार्षद
भवन निर्माण समिति की बैठक बिना एजेण्डे व सदस्यों को बिना सूचना व उपायुक्तों की अनुपस्थित में बुलाना संदेह के घेरे में है। इस तरह आयोजित की गई मिटिंग को निरस्त कर दुबारा बुलानी चाहिए। मैं समिति का सदस्य होता तो इस बैठक को निरस्त करवा के ही रहता, चाहें इसके लिए ऊपर क्यों नहीं जाना पड़ता।
गोपालराम मंडा, पार्षद
महापौर अपनी पसंद की फाइलों को ही बैठक में रखते है और उन्हें स्वीकृति दिलवाते है। जबकि होना यह चाहिए कि निर्माण समिति की जो भी फाइल निगम में आए उस पर पन्द्रह दिनों में समिति स्वीकृति या अस्वीकृति का फैसला दे। ऐसे में लोगों को चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
मोहम्मद हुसैन, पार्षद